दिल्ली को इसी साल मिलेगा वर्ल्ड का सबसे अनूठा ब्रीज
AA News
रिपोर्ट : अनिल अत्री
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दिल्ली को इसी साल 2018 में मिल सकता है सिग्नेचर ब्रिज का तोहफा अधिकारियों की मानें तो जून के शुरुआत तक टू व्हीलर्स के लिए सिग्नेचर ब्रिज ट्रेल के तौर पर 3 महीने के लिए शुरु कर दिया जाएगा जिसमें, इसके बाद फोर व्हीलर का ट्रेल और उसके बाद पूरी तरह से यह पुल जांच के बाद जनता को समर्पित किया जाएगा साथ ही दिल्ली को एक पर्यटन स्थल की तरह से विकसित किया जा रहा है। यदि दिल्ली सरकार ने अनुमति दी तो ये पर्यटन स्थल बनाना चाहा तो यह दिल्ली के कुतुब मीनार से दुगुने से भी ऊंचा पर्यटन स्थल होगा। जिसकी उचाई पर ग्लास हाउस में लिफ्ट से जा सकते हैं और ढाई सौ मीटर लम्बा यमुना के पानी के अंदर जो हिस्सा होगा वह चारों के सहारे करेगा जिसके नीचे अंदर जमीन में कोई भी पिलर नहीं होगा। जाम से छुटकारा तो मिलेगा ही साथ में एक काफी बड़ा पर्यटन स्थल और ऐतिहासिक ब्रीज दिल्ली में बन रहा है । भले ही इसके निर्माण में काफी देरी हो गई हो 2004 में शुरू हुई ये परियोजना अभी तक पूरी न होने के कारण जब आरटीआई कार्यकर्ता हरपाल राणा द्वारा पूछे गए और मौके पर आज अधिकारियों के साथ हरपाल राणा को विजिट कराया गया और दिखाया गया की देरी की वजह क्यों है ? AA News पर इस ब्रीज का काम और इस तरह की परियोजना देखकर आर टी आई कार्यकर्ता संतुष्ट नजर आए।
यह है दिल्ली का निर्माणाधीन सिग्नेचर ब्रिज यह भारत का इस तरह का अपने आप का एक अनूठा ब्रिज होगा। इस मॉडल का एक ब्रिज होलेंड में है जिसका मॉडल देख कर इसे बनाया जा रहा है लेकिन होलेंड के ब्रिज से भी काफी ऊंचा और बड़ा दिल्ली का यह सिग्नेचर ब्रिज बनने जा रहा है। इसके जो ऊंचे पिलर हैं उनकी उच्चाई से तारों को बांधा गया है । अधिकारियों ने AA News को बताया कि इसकी ऊंचाई करीब 154 मीटर है जो कुतुब मीनार से दुगुने से भी ज्यादा ऊंचे हैं । ऊपर के इस हिस्से में एक गलास हाउस भी बनाया जाएगा जिससे पूरी दिल्ली को देखा जा सकता है, जिसका यह निर्माण कार्य भी हो रहा है और लिफ्ट की सहायता से आप वहां तक पहुंच सकते हैं । इसके ऊपर जब ग्लास हाउस बनाया जाएगा उसको पर्यटन स्थल के रूप में खोला जा सकता है या नहीं खोला जाएगा यह सरकार की अनुमति पर निर्भर होगा । सरकार उसे पर्यटन स्थल बनाना चाहेगी या सिर्फ ब्रिज के अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्य तक ही सीमित रहेगी। यह परियोजना करीब 1575 करोड रुपए की है और अब तक इस पर साढ़े तेरह सौ करोड रुपए खर्च हो चुके हैं। अब यह अंतिम चरण में है । सब कुछ ठीक-ठाक इसी तरह चलता रहा तो और अधिकारियों की मानें तो अगले कुछ ही महीने में टू व्हीलर्स के लिए इसे खोल दिया जाएगा, जो 3 महीने तक ट्रेल बेस पर चलेगा । इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता हरपाल राणा ने जानकारी लेनी चाही कि कब तक पूरा होगा और इतनी देरी क्यों हुई क्योंकि 2002 में इसका प्रारूप तैयार हुआ था और सन 2004 में इसका कार्य शुरु हो गया था और इतने साल बाद भी इसका निर्माण क्यों नहीं हुआ हो पाया इस सब का जवाब जब मांगा गया तो जवाब के साथ साथ आरटीआई एक्टिविस्ट को अधिकारियों ने पूरे सिग्नेचर ब्रिज का मुआयना करवाया जिससे आरटीआई कार्यकर्ता भी खुद सहमत नजर आए क्योंकि यह अपने आप में एक ऐतिहासिक कार्य यहां पर हो रहा है ।
यहां जब अधिकारी और आरटीआई एक्टिविस्ट पहुंचे तो पाया गया कि जो टावर बनाए जा रहे हैं कुछ हिस्सा चाइना से तो काफी दूसरे सामान भी स्पेन आदि कई देशों से मंगवाये गए हैं। साथ ही जिस क्रेन से काम किया जा रहा है यदि अकेले स्क्रीन की बात की जाए तो अधिकारियों ने बताया कि इस क्रेन का खर्चा किराया एक महीने का एक करोड़ से ज्यादा है जिस दिन का किराया एक करोड़ से ज्यादा होगा आप देख सकते हैं कि यह क्रेन कितनी बड़ी है। इस क्रेन का भार साढ़े बारह सौ टन है । यह दिल्ली का निर्माणाधीन सिग्नेचर ब्रीज भारत का एक अपने आप का अनूठा ब्रिज होगा। इस मॉडल का एक ब्रिज हॉलेंड में है जिसका मॉडल लेकर बनाया जा रहा है लेकिन हॉलेंड के ब्रिज से भी काफी ऊंचा और लम्बा ब्रिज बनने जा रहा है। इसके जो पीलर हैं ईनकी उचाई को जिन तारों को बांधा गया है इन पीलर की ऊंचाई 154 मीटर है जो कुतुब मीनार से दुगुने से ज्यादा ऊंचे हैं और इसके ऊपर में एक ग्लास हाउस भी बनाया जाएगा, जिससे पूरी दिल्ली को देखा जा सकता है। ईसका यह निर्माण कार्य भी हो रहा है और लिफ्ट की साथ से आप वहां तक पहुंच सकते हैं । यदि उपर जो ग्लास हाउस बनाया जाएगा उसको पर्यटन के रूप में भी बनाया जा सकता है ।
इस ब्रिज की लंबाई 5 किलोमीटर के करीब है जिस का एक हिस्सा भजन पुरा फ्लाई ओवर में तो दूसरा वजीराबाद फ्लाइओवर तक है। यमुना के बीच में जो ढाई सौ मीटर का हिस्सा है वो टावर के जरिए स्टील के तारों से बंधा होगा जिसके नीचे कोई Sports और पिलर नहीं होंगे । इस ढाई सौ मीटर में नीचे जो पिलर लगाए गए हैं वह टेंप्रेरी है जिन्हें तैयार होने पर हटा दिया जाएगा। सिर्फ तारों के सहारे स्टील के तारों से यह झूलता हुआ पुल बनेगा। ढाई सौ मीटर के दोनों तरफ जरूर पिलर बने हुए हैं लेकिन 250 मीटर अंदर यमुना के पानी के एरिया में कोई पिलर नहीं होगा। यह अपने आप में अनूठा होगा होलेंड के मॉडल पर बनाया गया है यह विश्व का इस तकनीक का सबसे बड़ा फ्लाईओवर होगा और दुपहिया वाहनों के लिए यह जून के प्रथम सप्ताह तक अधिकारियों की माने तो खोल दिया जाएगा दोपहिया वाहनों को 3 महीने तक ट्रेल के रूप में यहां पर यूज़ किया जाएगा उसके बाद धीरे धीरे यदि सब सही रहा तो बड़ी गाड़ियों की एंट्री करके फिर पूरी तरह से ट्रेल के बाद जनता को सौंप दिया जाएगा।
साइट से उस वक्त ए ए न्यूज़ ने लाइव किया उसे आप इस वीडियो में देखें
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दरअसल आरटीआई कार्यकर्ता हरपाल राणा ने इसके लेट होने के कारणों को जानना चाहा था जिसमें उन्होंने सिग्नेचर ब्रिज के विषय में पूछा था कि इसे किस कंपनी ने बनाया ? और कब तक यह तैयार हो जाएगा इस पर इन्हें जवाब दिया गया की वजीराबाद एरिया में सुचारू ट्रैफिक हेतु 2002 की मीटिंग में मुख्य सचिव द्वारा प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग दिल्ली को एक नए पुल के निर्माण की स्कीम होती हेतु निर्देश दिए गए थे दिल्ली पर्यटन व परिवहन विकास निगम द्वारा सिग्नेचर ब्रिज बनाने की प्रक्रिया 27 अगस्त 2004 को प्रारंभ हुई थी जब लोक निर्माण विभाग और दिल्ली पर्यटन व परिवहन विकास निगम के मध्य समझौता ज्ञापन साइन किया गया था । इस कार्य को 2004 से शुरू होने के बाद अब तक पूरा न होने का वजह जब पूछी गई तो विभाग का जवाब था कि सिग्नेचर ब्रिज का वास्तविक कार्य करने की तिथि 20 मार्च 2010 की थी वह दिसंबर 2013 में पूर्ण करना था लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से समापन में देरी हुई जिसमें विभाग ने बताया कि एक कारण पूर्वी छोर में जंगल को हटाना था जिसकी अनुमति मिलने में देरी हुई और फिर जंगल हटाने का काम चला साथ ही , बुनियाद में भूवैज्ञानिक आश्चर्य मिलना है जिसका समाधान पुरे डिजाईन द्वारा किया गया। विभाग ने कहा कि सभी मामलों का निपटान किया जा चुका है जून 2018 मे पूर्ण करने का लक्ष्य है सिग्नेचर ब्रिज परियोजना की संबंधित लागत 1575 करोड़ रुपये है जो कि 2010 में स्वीकृत में 1131 करोड रुपए थी।
इस निर्माण से संबंधित काफी सामान विदेशों से मंगवाया गया है और एक्सपर्ट इंजीनियर ही इस काम पर लगे हैं जिन्होंने पहले भी इसी तरह की परियोजनाओं को अंजाम दिया है और आशा है कि जून में भले ही ये ब्रीज ना मिल पाए लेकिन इतना तो साफ है कि 2018 में दिल्ली को यह बड़ा तोहफा मिल जाएगा। एए न्यूज़ वक्त वक्त पर ऐसी परियोजनाएं और पोलिटिकल कार्यक्रम लाइव करता है इसलिए youtube पर इसे subscribe जरूर करें ।
अनिल अत्री दिल्ली .