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DELHI
REPORT – KULDEEP KUMAR
संसार मे सभी परिवहन व्यवस्थाएं दिल्ली मेट्रो को छोड़कर ,रेल ,बस ,जहाज आदि उपभोक्ता की श्रेणी में आती है जबकि देश में चलने वाली जयपुर, मुंबई ,लखनऊ आदि मेट्रो सेवा उभोगता कि श्रेणी के तहत पानी, शौचालय आदि अनेकों प्रकार की सुविधाएं निशुल्क दी जाती है।
देश में बनाए जा रहे नए उपभोक्ता कानून में भी हमने यह मांग की थी कि दिल्ली मेट्रो को बोलता सैनी में लाया जाए जो 20 जुलाई से लागू हो गया है जुलाई 2020 में दिया गया जवाब में किया कुछ परिवर्तन।
जवाब में कहा गया कि :-
(क) जिन मेट्रो स्टेशनों पर सशुल्क पेयजल सुविधा उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में, यात्रियों की सुविधा के लिए सभी स्टेशनों के कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि यात्री द्वारा मांगा मांग किए जाने पर उन्हें मुफ्त पेयजल उपलब्ध कराए
(ख) इसके अलावा पीतमपुरा, रोहिणी पूर्व, रोहिणी पश्चिम और रिठाला मेट्रो स्टेशन पर संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत पीने के पानी की सुविधा प्रदान की गई है
(ग) दिल्ली एयरोसिटी एवं एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन पर कंसेशनियरी दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सुविधा प्रदान की गई है।
(1) 60 से अधिक शिकायत पत्र भेजें और सूचना आवेदन किए गए। मेट्रो के अलग-अलग दिए गए अलग-अलग जवाब
(क) कई वर्षों के प्रयास के बाद मेट्रो ने जवाब दिया कि आप यह जानकारी मांग नहीं सकते
(ख) दिनांक 17 फरवरी 2015 को कहां कि यह जानकारी हमारे पास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है
(ग) दिनांक 17 मार्च 2015 को कहा यह सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 2(च) में वर्जित सूचना के परिभाषा में नहीं आती
(घ) दिनांक 16 दिसंबर 2015 मैं कहा कि दिल्ली मेट्रो उपभोगता श्रेणी मे आएगी।
(च) 24 अप्रैल 2018 को अपने पहले जवाब से पलटते हुए कहा कि मेट्रो उपभोगता श्रेणी रखना विधायिका के क्षेत्र मे निहित है इस लिए स्वयं डीएमआरसी कुछ नहीं कर सकती
(छ) अब फिर जवाब से पलटते हुए 3 मई 2019 को लिखित में दिया कि दिल्ली मेट्रो उपभोगता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(डी) के तहत साफ बताया गया है की उक्त अधिनियम के तहत विशेष श्रेणी सेवा को उपभोगता घोषित करने का प्रावधान नहीं करता है।
(ज ) अलग-अलग जवाब देने पर लिखे गए पत्र में मेट्रो ने 7 जुलाई 2018 को कहा कि दिल्ली मेट्रो के प्रत्युतर में कोई विरोध अभ्यास नहीं है
(2) इसपर मेरा कहना है की मेट्रो बार बार अलग-अलग जवाब दे कर भ्रमित कर रहा है क्योंकि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2( डी) में मेट्रो को उपभोक्ता श्रेणी में आने से रोकने का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है प्रतिलिपि संलग्न है
(3) उपभोक्ता कानून वर्ष 2002 में जोड़ी गई धारा 2 (डी) के स्पष्टीकरण के अनुसार व्यापारिक उद्देश्य तब तक नहीं माना जाता है जबकि क्रिय किया गया माल अथवा प्राप्त की गई सेवा को पूर्णत स्वरोजगार द्वारा जीविकोपार्जन करने के लिए उपयोग किया गया है
अर्थात – दारा 2 (डी ) स्पष्ट रूप से कहता है कि यदि कोई बेरोजगार व्यक्ति टैक्स, ई रिक्शा ,कंप्यूटर, टाइपराइटर, स्टेशनरी ,फोटोस्टेट, कैमरा, फैक्स ,छपाई की मशीन आदि मशीनरी खरीदकर अपना कारोबार करने अपनी आजीविका चलाता है तो उनको उसका माल का उपभोक्ता ही माना जाएगा उस व्यक्ति को पुणे क्रिया करने वाला व्यापारी नहीं माना जाएगा
(4) दिल्ली में मेट्रो आरंभ हुए 18 वर्ष होने के बाद भी उपभोगता श्रेणी मे नहीं रखना कानून का उल्लंघन तो है ही यात्रा करने वाले यात्रियों के हक अधिकार का हनन है उनके साथ अन्याय है
(5) दिल्ली मेट्रो उपभोक्ता श्रेणी मे शामिल हो जाए तो पीने का पानी, शौचालय और अनेकों सार्वजनिक सुविधाए जो मुंबई, कोलकाता, जयपुर, लखनऊ आदि में मिलती है निशुल्क मिलने लगेगी और किसी भी प्रकार की अनहोनी घटना होने पर जयपुर की तरह ₹8 लाख तक का मुआवजा भी लिया जा सकता है
(6) इन्हीं सुविधाओं को देने से बचने के लिए दिल्ली मेट्रो उपभोक्ता की श्रेणी में आने से बच रही है, बार-बार गलत जवाब जानकारी देकर गुमराह कर रही है।
(7) जिससे लगता है की मेट्रो जानबूझकर सोची समझी राजनीति के तहत भ्रम फैला रही है जिससे मेट्रो को अनेकों प्रकार की सुविधाएं ना देनी पड़े और कोई कमी साबित होने पर भी हर्जाना ना देना पड़े