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DELHI
REPORT – NASEEM AHMED
खामपुर गांव में यह जमीन 1999 में आजादपुर मंडी को सौंपी गई थी ताकि हजारों ट्रक दिल्ली में फल और सब्जी लेकर हर रोज आते हैं और उनमें से आधे ट्रक फिर उन्हीं सब्जी और फल को खरीद कर यहां से दूसरे राज्यों के लिए लेकर निकलते हैं। जो सब्जी और फल दिल्ली में से बाहर जाने हैं उनकी दिल्ली की मंडी में एंट्री क्यों होती है उसे बाहर कि बाहर भेज दिया जाए।
इसलिए बॉर्डर के पास खामपुर में यहां जमीन आजादपुर मंडी को दी गई थी।
1999 से लेकर कोई काम इस पर शुरू नहीं हुआ। इसी मुद्दे पर समाजसेवी हरपाल राणा ने कोर्ट में जनहित याचिका लगाई और मंडी के बॉर्डर पर जाने के पोल्यूशन से लेकर दूसरे सभी फायदे कोर्ट में बताए तो कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब 2020 में यहां मंडी का काम शुरू हुआ है।
लेकिन अब हर पाल राणा का कहना है कि उस वक्त की और अभी की परिस्थितियों में काफी फर्क आया है इसलिए अब इस मंडी को दिल्ली में नहीं बल्कि दिल्ली से बाहर उसी रोड पर आगे कहीं हरियाणा के हिस्से में बना देना चाहिए ताकि आधे ट्रकों की इंट्री दिल्ली में नही होगी, जो माल दिल्ली में यूज होना है सिर्फ वही माल दिल्ली में आए।
फिर भी हर पाल राणा ने कहा कि आजादपुर मंडी तक जाने में काफी जाम लगता है और दिल्ली में पॉल्यूशन फैलता है यदि बॉर्डर के नजदीक खामपुर गांव में भी मंडी बनती है तो वह भी एक समाधान का प्रयास होगा। कुछ तो फायदा उसका भी होगा। फिलहाल मंडी में शेड लगने का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है ।
अब देखने वाली बात होगी कि कितनी जल्दी ये मंडी बनकर तैयार होती है।