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Rohini
दिल्ली के मधुबन चौक पर दिल्ली
पुलिस के जवान ने हलमेट बांटकर और लोगों को जागरूक कर मनाया स्वतंत्रता दिवस । दिल्ली पुलिस का ये जवान पिछले तीन सालों से लगातार ऐसा कर रहे है । बिना हेलमेट पहने दुपहियां वाहन चालकों हेलमेट बांटकर लोगों को जागरूक करता है । साथ ही जिसने भी लोकल हेलमेट पहना होता है उस हेलमेट को उसी के सामने तोड़ते है और बिल्कुल फ्री नया हेलमेट देते है । संदीप कुमार साही हर महीने तीन से चार बार लोगों में सड़क सुरक्षा के लिए जागरूक करते है । आज भी संदीप कुमार साही ने दिल्ली के मधुबन चौक पर लोगों को हेलमेट बांटे । इसके लिए उनके साथ दिल्ली ट्रैफिक पुलिस भी सहयोग करती है । जी शख्स बिना हेलमेट या लोकल हेलमेट पहने हुए होते उनका ट्रैफिक पुलिस चालान करती है संदीप उन्हें हेलमेट देते है ।
संदीप कुमार साही इस अभियान के लिए अपनी मासिक तनख्वा से पैसे जोड़ते है । अपनी शादी की सालगिरह, अपना, पत्नी दोनों बच्चो का जन्मदिन न मानकर रक्षा बंधन ओर न्यू ईयर पर उस पैसे से लोगो को अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट बाटते है । दिल्ली पुलिस का जवान अपनी नोकरी ओर पारिवारिक कामों से समय निकालकर ऐसा करता है । लोगों की सुरक्षा के लिए संदीप हर साल हज़ारों रुपयों के हेलमेट बाटते है । ताकि लोगों की जान बच सके ।
एक ऐसा ही वाकया दिल्ली पुलिस में हैडकांस्टेबल के पद पर तैनात संदीप साही के साथ भी हुआ था । जब संदीप अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ बाइक से कही जा रहे तो तो पीछे से दूसरी बाइक वाले ने इनकी बाईक को पीछे से टक्कर मार दी । जसमे इनकी पत्नी को सिर में काफी गंभीर चोट आयी । जिसमे हैडकांस्टेबल संदीप साही की दुनिया उजड़ने से बच गयी । अब इस हादसे को हुए करीब सात साल से ज्यादा का समय बीत चुका है । इस हादसे का प्रभाव दंपत्ती के जीवन पर इस कदर पड़ा कि इन्होंने लोगो दुपहियां वाहन पर हेलमेट पहनने के बारे में बताना शुरू किया। इनके इस काम में इनका परिवार भी सहयोग करता है और संदीप के द्वारा किये गए काम से खुश है
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नेशनल रिकार्ड्स ऑफ ब्यूरो के अनुसार दिल्ली में रोजाना चार सौ के करीब सड़क हादसे होते है । जीने कई लोगों की जान बच जाती है और कुछों की जान चली भी जाती है । जब खुद ऐसा संदीप कुमार साही के साथ सात साल पहले घटित हो चुका है । जिससे इनकी बॉटनी जी जान जाते जाते बची । उस घटना का इनके दिलो – दिमाग पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि इन्होंने इस तरह के हादसों से बचने के लिए लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया । इनके द्वारा किये जा रहे इस काम से लोगों की भीड़ भी जमा हो गयी ।
उस भयानक हादसे में इनकी जान तो बच गयी लेकिन जब कभी भी ये मंजर उनकी आंखों के सामने आता है तो संदीप की तो रूह तक कांप जाती है । फिलहाल उनकी पत्नी पांच साल बाद धीरे धीरे घर का काम करने की हालत में आई है । ये दंपत्ती अपने घर संसार और अपने द्वारा किये जाने वाले काम से खुश है ।