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कन्हैया कुमार के सामने मनोज तिवारी हार सकते है। ओवर कॉन्फिडेंस ऊपरी दिखावा अंदरूनी रूप से भाजपाई कार्यकर्ता भी मनोज तिवारी से नाराज
दिल्ली की उत्तर पूर्वी सीट पर जनता दस साल से सांसद मनोज तिवारी से बेहद नाराज है। यहां कन्हैया कुमार को लेकर कोंग्रेस से भी ज्यादा उत्साहित AAP वर्कर्स है। जनता का कहना है कन्हैया कुमार क्षेत्र की समस्याओं में सामने तो खड़ा होगा, मनोज तिवारी तो दस साल सिर्फ नेताओ तक सीमित रहे। अंदरूनी रूप से भाजपा के काफी कार्यकर्ता मनोज तिवारी से बेहद नाराज है।
कालोनियों पर लटकी डेमोलेशन की तलवार से भी लोग मनोज तिवारी से नाराज है। DDA केंद्र के अधीन है और सांसद मनोज तिवारी और DDA दोनों पर कई तरह के आरोप यहां के प्रॉपर्टी डीलर और स्थानीय लोग भी लगाते रहे हैं। साथ ही पिछले कई महीनो से गरीब लोगों के बिजली के मीटर भी कॉलोनी में नहीं लग रहे। यहां तक की PM उदय वाली कॉलोनी तो दूर की बात गांव के लाल डोरे में भी टाटा पावर DDA की NOC मांग रहा है और DDA से NOC जल्दी मुहैया नहीं हो पा रही है इससे लोग गुस्से में है और मनोज तिवारी को सबक सिखाने की ठान ली है।
साथ ही कन्हैया कुमार का दिल्ली की राजनीति में शुरुआती दौर है और वह जनता के साथ जरूर खड़े होंगे क्योंकि उन्हें भविष्य यहां राजनीति में बनाना है। इसलिए कन्हैया कुमार अच्छी तरह से चुनाव प्रचार शुरू किए बिना भी सर्वे में मनोज तिवारी को टक्कर दे रहे हैं।
जनता का हर रोज एक खाना खाने से भी मन भर जाता है तो वह बदलकर जरूर टेस्ट करते हैं। पिछले 10 साल से मनोज तिवारी को सांसद बने हुए हैं इसलिए काफी लोग इस दृष्टिकोण से भी सांसद चेंज कर सकते हैं।
मनोज तिवारी के संसदीय क्षेत्र में लोग यही पूछते हैं कि पिछले 10 साल में उनके दो काम भी कोई नहीं गिनवा सकता।
मनोज तिवारी को टिकट मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले से बड़ी संख्या में भाजपा वॉटर निरूत्साहित है या तो वे वोट डालने का मन नहीं बना रहे हैं और वोट डालेंगे तो वह Nota या कन्हैया कुमार को वोट दे सकते हैं।
कन्हैया कुमार को भी जनता को देश विरोधी नारों के मामले में जवाब देना होगा। जबकि इस मामले पर AAP वर्कर्स जरूर जनता को समझा रहे है कि वीडियो फेक था, खुद अमित शाह के अधीन पुलिस भी सबूत नही दे पाई।