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मेट्रो विहार , नजदीक बवाना इंडस्ट्रियल एरिया।
रिपोर्ट : अनिल कुमार अत्तरी
बवाना पटाखा फैक्ट्री के पीड़ित परिवार इस साल दिवाली नही मना रहे हैं। इन परिवारों का कहना है उनके घरों के दिये तो पहले ही बुझ सके है। इन लोगो को तुंरन्त की मुख्यमंत्री सहायता तो मिली थी उसी से गुजारा चल रहा है पर मुआवजे की फाइल एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के बीच चक्कर लगा रही है।
दिल्ली के बवाना में इसी साल की शुरुआत में पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट के बाद 17 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से अधिकतर परिवार दिल्ली के मेट्रो विहार के रहने वाले थे।
अब ये परिवार इस साल गम में दिवाली का त्यौहार नहीं मना रहे हैं। ये परिवार बेहद दुखी हैं घर में कोई कमाने का सहारा नहीं था , इसलिए इन घरों की महिलाएं उस पटाखा फैक्ट्री में जाकर काम करती थी जिनकी पटाखा फैक्ट्री में आग लग कर ब्लास्ट होने से मौत हो गई।
इसलिए इन परिवारो का कहना है कि वे कोई दिवाली नहीं मनाएंगे उनके घर का दिया बुझ चुका है। इस परिवार में कमाने वाली एकमात्र महिला थी पति बीमार थे और बेटा बेटी दिमाग से डिस्टर्ब है, एक ही लड़का है जिसका आधा दिमाग काम करता है। यही हालत दूसरे परिवारों की थी। मेट्रो विहार की अकेली इस गली से 4 महिलाओं की मौत हुई थी। इस गली में चार अर्थियां एक साथ आई थी , इसलिए यह गली दिवाली नहीं मना रही है।
इन लोगों का कहना है कि सरकार ने जो भी सहायता के लिए बड़ी बड़ी घोषणा की थी। शुरुआत में जो पांच लाख सरकार ने जीविका के लिए दिए गए थे उसी से ये अभी खाना कहा पा रहे हैं , उसके अलावा इन की किसी भी प्रकार की सहायता नहीं हुई है और गुनहगार जमानत होकर बाहर घूम रहे हैं तो इसका दुख इन परिवारों को काफी है। इनमे एक परिवार की बिजली का कनेक्शन भी पचास हजार बिल न भर पाने के कारण कट गया था। उन पचास हजार के लिए घर की महिला फैक्ट्री में काम के लिए जाती थी।
हादसे के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी घर पर आए और इस घर की बिजली चालू करने का आदेश कर चले गए। उसके बाद घर की बिजली तो जोड़ दी गई लेकिन बिना मीटर के अवैध तरीके से बिजली जोड़ी गई है हर बार बिजली कर्मचारी ने यह तार हटाने की बोल कर जाते हैं। साथ ही पकास हजार का बिल अभी भी पेंडिंग है। उस वक्त आश्वासन में सभी नेताओं द्वारा बोला गया था कि इन का बिल माफ करा दिया जाएगा लेकिन बिल माफ नहीं हुआ।
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इस मामले में इन परिवारों के लिए सहायता करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे एडवोकेट ऋषि पाल का कहना है कि हो सकता है कि मुख्यमंत्री साहब के यह बात संज्ञान में ही न हो कि बिजली का बिल माफ नहीं किया गया। अब वह इस मुद्दे को लेकर खुद मुख्यमंत्री से मिलने के लिए जाएंगे और इस परिवार की आवाज उठाएंगे।
साथ ही कहा कि जो मुआवजा इन परिवारों को मिलना था उसकी फाइल करीब सात महीने से अटकी हुई है। एरिया एसडीएम उन फाइलों को पास ही नहीं कर रही है, एक एसडीएम से दूसरे एसडीम तक फाइलें चक्कर लगा रही है। दूसरी तरफ गरीब परिवार भूखे मर रहे हैं।
जब पता चला कि ये लोग दिवाली नहीं मना रहे तो एडवोकेट ऋषि पाल और उसका परिवार मिठाई लेकर पहुंचे हैं और इन परिवारों को मिठाइयां दे रहे हैं ताकि ये गरीब परिवार भी दीपावली में शरीक हो सके। शायद इससे बड़ा धर्म का कार्य नहीं हो सकता इस तरह गरीब की मदद आप करते हैं तो आपको किसी तीर्थ स्थल पर जाने की जरूरत भी नहीं रहती क्योंकि यही सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है।