दिल्ली की झुग्गियों में मिला हीरा
AA News
आजादपुर नई दिल्ली
रिपोर्ट : अनिल कुमार अत्तरी , नसीम अहमद और विकास खान
दिल्ली की रेलवे ट्रैक किनारे झुग्गियो के रहने वाले रिक्सा चालक के घर से निकला बच्चा दौड़ में तोड़ रहा है नैशनल रिकॉर्ड लगातार ला रहा है गोल्ड मैडल. निसार अहमद अब दुनिया के सबसे तेज धावक उसैन बोल्ट के क्लब में ट्रेनिंग लेंगे. जिस झुग्गी में रहते है ट्रेन गुजरते वक्त हो जाता है झुग्गी का रास्ता बंद और हिलती है झुग्गी की छत की टीन तक. पिता है रिक्सा चालक माँ घरो में करती है बर्तन साफ़ और देश के धावक को देने के लिए माँ-बाप के पास अच्छे प्रोटीन और डाईट नही न ही दौड़ के काबिल कपड़े और जूते बावजूद इसके निसार ला रहा है एक के बाद एक मेडल.
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दिल्ली के आज़ादपुर में बड़े बाग की झुग्गी बस्ती में रहने वाले निसार अहमद ने अंडर-16 (पुरुष) में 100 और 200 मीटर रेस में भारत के पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. निसार बड़े ही ग़रीब परिवार से है, पिता रिक्शा चलाते हैं, मां दूसरे के घरों में काम करती है. दिल्ली के रहने वाले निसार अहमद दुनिया के सबसे तेज धावक उसैन बोल्ट के क्लब में ट्रेनिंग लेंगे. लेकिन निसार के पक्के इरादों के सामने कभी उनकी अभावग्रस्त जिंदगी रोड़ा नहीं बन पाई. रेलवे ट्रैक किनारे छोटी सी और टूटी झुग्गी में रहता है ये परिवार. निसार अहमद के माता-पिता हर महीने कुल मिलाकर 5 हजार रुपए कमा लेतें हैं, लेकिन अहमद इन सबके बीच अपनी एक अलग पहचान बनाने जा रहा है। हालांकि ये सब अहमद के लिए बिलकुल भी आसान नहीं रहा है। गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया और स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी एंग्लियन मैडल हंट के तहत देश के 14 ही बच्चों को वहां जाने का मौका मिलेगा और अहमद उनमें से एक है। बता दें कि अहमद आजाद पुर स्थित बड़ा बाग की जिस झुग्गी में रहता है, वहां पास में रेलवे ट्रैक है और जब ट्रेन वहां से गुजरती है तो उसके घर की छत पर लगी टीन हिल्लने लगती है। निसार अहमद का नाम सुर्खियों में तब आया था जब उसने दिल्ली स्टेट्स एथलेटिक्स मीट प्रतियोगिता में 100 मीटर की दौड़ में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया था। इसके बाद निसार ने अंडर-16 के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ा और 100 मीटर की रेस को 11 सेकंड से भी कम में तोड़ा। इसके अलावा उसने क्रमशः 200 मीटर के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को भी तोड़ते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। अब अहमद को उन्हें उसेन बोल्ट के कोच ग्लेन मिल्स चार हफ्ते की ट्रेनिंग देंगे। निसार अहमद दिल्ली के स्लम इलाके में रहते हैं. … 25 जनवरी को निसार जमैका के लिए रवाना हो जायेंगे. दरअसल दिल्ली में रिक्शा चालक के बेटे निसार अहमद को जमैका के प्रसिद्ध रेसर उसैन बोल्ट के क्लब में ट्रेनिंग के लिए दाख़िला मिल गया है. प्रसिद्ध स्प्रिंटर उसैन बोल्ट का यह घरेलू ट्रैक है. निसार की तरह बोल्ट को भी बचपन मे काफी संघर्ष करना पड़ा था. गेल कंपनी के मदद से निसार ट्रैक में एक महीने के लिए ट्रैनिग लेंगे. 25 जनवरी को निसार जमैका के लिए रवाना हो जायेंगे. होनहार युवक निसार जब गोल्ड मेडल ले रहे थे, तब उनके पिता रिक्शा चलाने और मां घर के काम में जुटी थीं. ये चार लोगों का परिवार स्लम के एक कमरे में रहता है. पिता को आर्थिक सहारा मिल सके इसलिए मां दूसरे के घरों में काम करती है. निसार को एक अच्छा एथलीट बनाने के लिए उसका परिवार काफी संघर्ष कर रहा है. दिल्ली सरकार की तरफ से भी मदद करने की पेशकश की गई थी. निसार का कहना 7 नवंबर से लेकर 12 नवंबर के बीच भोपाल में हुए नेशनल स्कूल गाने में भी निसार ने एक गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रोंच मैडल जीत चुके हैं. 16 नवंबर से लेकर 20 नवंबर तक विजयवाड़ा में हुए नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में निसार ने 100 और 200 मीटर में नेशनल रिकॉर्ड तोडा. निसार ने बताया कि अब उन्होंने कॉमन वेल्थ गेम्स के लिए भी तैयारियां शुरू कर दी है.. तीन साल पहले निसार जब सुनीता रे से मिले थे तो निसार की स्थिति को देखते हुए सुनीता उन्हें फ्री में कोचिंग देने के लिए तैयार हो गई थी. कोच सुनीता से ट्रेनिंग के बाद निसार आगे बढ़ते गए और मेडल जीतते चले गए.
वीडियो में सूने निसार को
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निसार के पिताजी नन्हकू ने AA News को बताया कि वो जमैका जा रहा है हमे ख़ुशी हो रही है. हम चाहते है सरकार मेरे बेटे की मदद करें और मेरा बेटा देश का नाम रोशन करें. और भी आगे जाए में ये चाहता हूँ पर उसके लिए पैसे की जरूरत नही रिक्सा चलाता हूँ लडके पर खर्च किये है उसके लिए अपनी बेटी की शादी भी रोक ली है वो इक्कीस साल की हो गई. में बेटी की शादी करता सब पैसे वहां लगा देता तो आज मेरा बेटा आगे नही बढ़ता . हमारी गुजारिश है सरकार हमारी मदद करें
डबल ए न्यूज़ पर निसार की माँ ने बताया कि जहा काम करती हूँ उस कोठी से पंखा मांगकर लाइ .. इनको गर्मी लगती थी दौड़कर आता था. आज हिन्दू मुश्लिम सभी बच्चो के लिए में आज दुआ करती हूँ मेरे भारत का नाम रोशन करें. में दौड़ने वाला कपड़ा और जूता नही दिलवा पा रही हूँ . मेरा बेटा ओलम्पिक में मेडल लाएगा मेरी आशा है. बच्चे को अच्छा प्रोटीन , अच्छा खाना नही दे पा रही हूँ मेरे पास पैसे नही है . मेरी लडकी , मेरा बेटा निसार , उनके पिताजी और में यही रहते है एक ही झुग्गी में
चचेरे भाई अब्दुल कादिर ने AA News को बताया कि मेरे साथ दौड़ता है मेरी बुआ का बेटा है अभी भी जीतकर आया है . वहा जो सीखकर आएगा और हमे भी आकर वो सिखाएगा जो वहां सीखकर आएगा
फिलहाल ऐसी प्रतिभा दूसरे बच्चों के लिए भी प्रेरणा है जिससे दूसरे बच्चों का भी हौसला बढ़ता है ।