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Anil Kumar Attri Delhi
सपेरा भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। सपेरा भारतीय संस्कृति से लगातार लुप्त होता जा रहा है। गलियों में सांप को लेकर बीन बजाकर होने वाले नृत्य को देखने के लिए नई पीढ़ी तरस गई है। अब गलियों में सांप के साथ सपेरे नजर नहीं आते ।
इस बात का दर्द सपेरा संप्रदाय को भी है। आज हम इस विषय पर चर्चा करते हैं और आपसे मिलवाते हैं एक देश के जाने-माने सपेरे रोहताश नाथ से । दरअसल रोहताश नाथ सपेरे ने बीन बजाने के देश-विदेश में कई जगह परचम लहराए हैं और भारत का नाम रोशन भी किया है। सपेरा रोहतास नाथ का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में भी रिकॉर्ड है जो ताइवान में आयोजित कंपटीशन में इन्होंने जीत हासिल की थी। रोहताश नाथ सपेरा देशभक्ति के गीत फिल्मी गीत हरियाणवी रागनी पंजाबी सभी तरह की धुन अपनी बीन पर बजाते हैं।
इन्हें सिर्फ एक बात का मलाल है कि देश में चिड़ियाघर में सांपों को पिंजरे में बंधक बनाकर रखा जाता है , लोग गाय भैंस पालते हैं , यहां तक की मुर्गे , बकरे , बकरी या भैंस , गाय तक काटने के लाइसेंस सरकार दे रही है और उन्हें काटा जा रहा है सरेआम दुकानों में पर सांप को पालने तक का लाइसेंस नही दिया जा रहा है। आगे इनका कहना है कि सपेरा सांप को मारता नहीं बल्कि उसे पालता है और विशेष दिन गोगानवमी की एक विशेष त्यौहार पर उसे जंगल में छोड़ देता है । सपेरों के सांप पालने पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। सपेरा सांप को नहीं रख सकता न ही सांप का डांस दिखाकर वह लोगों का मनोरंजन नहीं करा सकता।
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इनका कहना है कि वह सांप को पालते थे और साथ रखते थे इस पर सरकार ने पाबंदी लगा दी लेकिन पशुओं के काटने पर पाबंदी नहीं लगाई। इनकी मांग है कि इन्हें सांप रखने की का लाइसेंस दिया जाए। ये सांप को रखते हैं इसका पालन करते हैं और लोगों का मनोरंजन कराते हैं और विशेष समय बाद उन्हें जंगल में छोड़ देते हैं इसलिए सांपों के पालने का लाइसेंस दिया जाए।
यह मांग अब से नहीं ये कई सालों से कर रहे हैं । फिलहाल ये अपने साथ लकड़ी का एक सांप रखते हैं उसी के आगे बीन बजा कर लोगों को दिखाते हैं। लोगों की फरमाइश होती है कि असली सांप को दिखाया जाए लेकिन असली साफ रखने की अनुमति सरकार नहीं देती तो ये लड़की के सांप के आगे ही बीन बजाते हैं।
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सरकार की पाबंदी के कारण नई पीढ़ी बीन बजाना ही नहीं सीख रही है और ना ही सांप को पकड़ने और रखने का हुनर भी।
इनका कहना है कि सांप और बीन देश के सबसे पुराने वाद्य यंत्र है यह संस्कृति लुप्त होती जा रही है । ये लाइसेंस की मांग सरकार से कर रहे हैं। सपेरे रोहताश नाथ ने देशभर में सैकड़ों पुरस्कार जीते हैं । ये हरियाणा सरकार के सूरजकुंड मेले में भी हर साल अपनी बीन बजा कर प्रदर्शन करते हैं। साथ ही उन्होंने कई फिल्मों में भी प्रदर्शन किया है। कई देशों में बीन का प्रदर्शन किया है ।
फिलहाल जरूरत है सरकार भी इस लुप्त होती विरासत की तरफ संस्कृति की तरफ ध्यान दें वरना नई पीढ़ी बीन बजाना भी नहीं सीख पाएगी जिससे यह बीन का लहरा देश में लुप्त हो जाएगा। रोहताश नाथ सपेरा दिल्ली में रहते हैं और मूल रूप से हरियाणा के फरीदाबाद के रहने वाले हैं।
फिलहाल यह कई कार्यक्रमों में अपनी टीम मंडली के साथ जाकर बीन बजा कर अपना रोजगार चला रहे हैं । साथ ही दिल्ली में कहीं किसी के घर मकान खेत आदि में सांप निकल आता है तो लोग रोहताश नाथ सपेरे को बुलाते हैं यह सांप को पकड़कर यह लोगों का बचाव करते हैं।
साथ ही सांप के काटे हुए शख्स को यदि जीवित इनके पास पहुंचा दिया जाता है तो उसका भी इलाज कर देते हैं और सर्प के जहर को शरीर से निकाल देते हैं। जरूरत है सरकार इस लुप्त होती संस्कृति की तरफ कुछ ध्यान दें। अब हम आपको इनके द्वारा बनाई गई कुछ बीन की धुन हे बीन का लहरा सुनाते हैं।