हरियाणा के 20 चिन्हित जिलों में से 18 जिलों में जन्म का लैंगिक अनुपात सुधरा
नई दिल्ली।
एक वक्त था जब लैंगिक विषमता, भ्रूण हत्या और लड़कियों से भेदभाव के मामले में हरियाणा की देश भर में नकारात्मक छवि बनाई जाती थी। लेकिन केंद्र सरकार के ताजा आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा की ये छवि पिछले दो सालों में पूरी तरह बदल रही है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान में चुने गए सूबे के 20 जिलों में लड़कियों के जन्म का लैंगिक अनुपात सुधरा है। केंद्र सरकार ने हरियाणा के इस प्रदर्शन को उन राज्यों के लिए बतौर नजीर पेश करने का फैसला किया है जिनका प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नही है। महिला व बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का कहना है जिस हरियाणा को लेकर इतनी नकारात्मक बातें होती थी वहां ये सुधार और राज्यों के लिए उदाहरण है। उन्होंने कहा ये साफ संकेत है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का काफी अच्छा असर हुआ है। देश भर में अभियान के लिए 161 जिले चुने गए थे। इनमे से 104 में जन्म के समय लैंगिक अनुपात सुधरा है। यानी इन जिलों में लड़कियां पहले की तुलना में ज्यादा जन्म ले रही हैं।
हरियाणा ने संस्थागत डिलीवरी के मामले में भी प्रगति की है। प्राइमरी और सेकेंडरी में इनरोलमेंट का स्तर भी सुधरा है। हरियाणा सरकार सभी जिलों में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की सतत समीक्षा कर रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल निजी तौर पर इसमे रुचि ले रहे हैं। इसका असर निचले स्तर पर नजर आ रहा है।
केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय में सचिव राकेश श्रीवास्तव का कहना है कि वर्ष 2016 – 17 के दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ने काफी प्रगति की है। केंद्र सरकार उन सभी जिलाधिकारियों के अनुभव की जानकारी हासिल करेगी जिनके प्रयास से लैंगिक अनुपात सुधरा है। इन अनुभवों को बेस्ट प्रैक्टिसेज मानते हुए ऐसे जिलों से साझा किया जाएगा जिनका प्रदर्शन किन्ही वजहों से अच्छा नही हो पाया।
केंद्र बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और कुपोषण से मुक्ति के अभियान को सर्वाधिक तरजीह दी रही है। कुपोषण से मुक्ति के लिए नकद सहायता और पूरक पोषाहार के संबंध में नीति आयोग को भी एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है।