खेती बन रही है घाटे का सौदा । खेती छोड़ दूसरे व्यवसायों में जाने को मजबूर किसान के वंशज
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अनिल अत्री
भारतीय किसान यूनियन लोक शक्ति द्वारा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री चौधरी चरण सिंह जी के जन्मदिन पर दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के प्रख्यात वकील ए पी सिंह जी अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा यदि किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह आज जीवित होते और सरकार उनकी नीति पर काम करती तो भारत का किसान राजा होता। लेकिन आज किसान की दुर्गति हो रही है किसान अन्य अन्न देता है फिर भी उसके साथ चाहे वह मूल्य की बात हो, चाहे उस की व्यवस्थाओं की बात हो, चाहे बीज की बात हो, चाहे नहरों में पानी की बात हो, महंगाई की बात हो, चाहे उसके इंश्योरेंस की बात हो सभी जगह लापरवाही बरती जा रही है।
दरअसल किसानों की आवाज उठाने वाले नेताओं में चौधरी चरण सिंह और ताऊ देवीलाल को आज भी याद किया जाता है । हर चीज को बनाने वाला शख्स उसका मूल्य निर्धारण खुद करता है कि उसकी वस्तु पर कितना खर्च आया है और कितना उसका मूल्य होगा । फेक्ट्रियो में सामान तैयार होता है और सभी अपना मूल्य निर्धारण करते है । इसी तरह किसान अपनी मेहनत से , पानी , बिजली , कीटनाशक , मजदूरी , बीज आदि खर्च करके फसल तैयार करता है जो फसल किसान बनाता है उसका भाव मूल्य सरकार तय करती है और उस मूल्य से किसान अपना खर्च भी पूरा नही कर पाते और खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है । किसान के वंशज खेती छोड़कर दूसरे कामो में जा रहे हैं । खेती की जमीन पर बिल्डिंगे बन रही है लगातार कृषि की जमीन कम होती जा रही है । खेत कंक्रीट में बदल रहे है पर सरकारों का इसपर कोई ध्यान नही जो पर्यावरण के लिए भी खतरा है । इसके दुष्परिणाम किसान तो भुगत रहे हैं पर आने वाले वक्त में पूरे समाज को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे ।
ऐसे में हिंदी के कवि याद आ जाते जिन्होंने लिखा था —
जो खुद कोदई खाता है
गेंहू खिलाता है ।
में उस किसान की व्यथा हूं ।