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Narela Station
रेलवे स्टेशन पर चलाया गया पौधारोपण और स्वच्छता अभियान
उत्तराखंड के लोकप्रिय पर्व हरेला के अवसर पर आज रेलवे स्टेशन नरेला परिसर में सुबह चार घंटे के लिए पौधारोपण और स्वच्छता अभियान चलाया गया। कार्यक्रम के तहत बड़ी संख्या में स्थानीय उत्तराखंडी महिलाओं, बच्चों,और युवकों द्वारा रेलवे परिसर पार्किंग में 60 से अधिक स्थानीय प्रजाति के पौधों को लगाया गया। साथ में पार्किंग स्थल पर व्यापक सफाई कार्य कर लगभग 200 किलो से अधिक कूड़ा कचरा उठाया गया।
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दोनों गतिविधिओं का आयोजन देवभूमि उत्तराखंड एकता मंच नरेला द्वारा किया गया। यह मंच पिछले एक साल से नरेला में सामाजिकऔर पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान हेतु प्रयासरत है। हरेला पर्व की तैयारी में मंच के सभी सदस्य पिछले एक सप्ताह से जुटे थे । इसके लिए मंच ने वन विभाग दिल्ली से पौध, रेलवे स्टेशन मास्टर से कार्यक्रम की अनुमति और नगर निगम नरेला से सहयोग हेतु पत्राचार के माध्यम से संपर्क किया था।
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इस अवसर पर निगम पार्षद सविता खत्री जी भी पधारी। मंच के कार्यों की सराहना करते हुए, उन्होंने उत्तराखंडी समाज को हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी। स्वच्छता अभियान में हिस्सा लेते हुए उन्होंने पौधारोपण और सफाई कार्य में हिस्सा लिया। उन्होंने उपस्थित नागरिकों से हरेला पर्व से प्रेरणा लेने और नरेला को स्वच्छ, सुन्दर बनाने के लिए ऐसे जनजागरूकता कार्य का सन्देश दिया।
पार्षद जी का सहयोग हेतु धन्यवाद करते हुए, मंच के सदस्यों ने उन्हें नरेला में बढ़ते हुए ट्रैफिक, फुटपाथ अतिक्रमण, भूजल क्षरण और कूड़े की चिंताजनक समस्याओं से अवगत कराया और आगामी समय जनजागरूकता अभियान के माध्यम से इन समस्याओं के निराकरण के लिए भी प्रयास करने की बात कही। साथ में नरेला को प्लास्टिक थैली मुक्त बनाने के लिए भी मंच के कार्यकर्त्ता कपडे का थैला वितरण कार्यक्रम चलाने पर सकारात्मक तौर पर विचार कर रहें हैं।
समापन से पूर्व मंच के सदस्यों ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए रेलवे एवं वन विभाग तथा नगर निगम नरेला का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। नरेला हरेला पर्व के चलाये गए पौधारोपण और स्वच्छता अभियान में समिति के सभी वरिष्ठ पदाधिकारीयों और सदस्यों की अहम भूमिका रही। इस अवसर श्री नरेंद्र भैसोड़ा, श्री भीम सिंह रावत,श्री देवेंद्र रावत, श्री संजय बुड़ाकोटी, श्री प्रदीप रावत, श्री मोहन बिष्ट, श्री ओमप्रकाश देशवाल, श्री आनंद पपने, श्री भैरव गिरी, श्री गोविन्द अधिकारी, भगवत भंडारी, श्री सन्तोष “बेनाम”, श्री गोपाल चौथान, श्री हरेंद्र नेगी, श्री आनंद सत्यावली, श्रीमती गीता सत्यावली, श्री गिरीश सत्यावली, श्री पूर्ण नेगी, श्री पवन रावत, श्री लक्ष्मण रावत, श्री धन रावत, श्री जगदम्बा सती, श्री दीपांशु शर्मा, श्री संजय कुकशाल, श्री दीवान बोरा, श्री दिनेश बिष्ट, श्री हरीश भट, श्री किशोर वशिष्ठ, श्री प्रभात कुमार, श्री सुरेंद्र रावत, श्री अजय प्रसाद, श्री गोविन्द बिष्ट और यमुना इको स्कॉलर के सुजीत, अमित, सुमित, जय, मयंक, अंक्षिका आदि उपस्थित थे।
मंच के बारे में
देवभूमि उत्तराखंड एकता मंच नरेला पिछले एक साल से नरेला में सामाजिकऔर पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान हेतु प्रयासरत है। इससे पहले भी मंच ने रेलवे स्टेशन परिसर में निर्माण कार्यों के दौरान 30 से अधिक बड़े पेड़ों को कंक्रीट की चपेट में आने से सफलतापूर्वक बचाया है। मंच के सदस्य निजी तौर पर पर्यावरण संरक्षण में योगदान देते हैं और अपने कार्यक्रमों में पर्यावरणीय पहलुओं पर विशेष ध्यान देते हुए प्लास्टिक थैली और डिस्पोजल के प्रयोग से परहेज करते हैं।
हरेला उत्तराखंड की प्रकृति संस्कृति से जुड़ा प्रसिद्ध लोकपर्व है। वैसे तो यह साल में तीन बार मनाया जाता है, परन्तु सावन माह में आने वाले हरेला पर्व का विशेष महत्व है। सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोने के लिए किसी थालीनुमा पात्र या टोकरी का चयन किया जाता है। इसमें मिट्टी डालकर गेहूँ, जौ, धान, गहत, भट्ट, उड़द, सरसों आदि 5 या 7 प्रकार के बीजों को बो दिया जाता है। नौ दिनों तक इस पात्र में रोज सुबह को पानी छिड़कते रहते हैं। दसवें दिन इसे काटा जाता है। 4 से 6 इंच लम्बे इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है। घर के सदस्य इन्हें बहुत आदर के साथ अपने शीश पर रखते हैं। घर में सुख-समृद्धि के प्रतीक के रूप में हरेला बोया व काटा जाता है! इसके मूल में यह मान्यता निहित है कि हरेला जितना बड़ा होगा उतनी ही फसल बढ़िया होगी! साथ ही प्रभू से फसल अच्छी होने की कामना भी की जाती है।