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नई दिल्ली
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आये दिन देश भर से ईसाई मिशनरियों द्वारा भोले भाले लोगों को बहला फुसला कर यां लालच देकर ईसाई धर्म में ले जाने के आरोप लगते रहते हैं । दिल्ली में भी इसी तरह का मामला सामने आने पर सिख संस्थानों द्वारा इसे गंभीर चिंता का विषय बताया जा रहा । मामला दिल्ली के सुल्तानपुरी का है जहां पर ज्यादा गिनती में सिकलीगर समाज के लोग रहते हैं जो मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं वहां के कुछ लोगों द्वारा बीते दिनों ईसाई धर्म अपनाने का मामला सामने आया। हमारी टीम ने जब वहां जाकर लोगों से बात की तो ज्यादातर महिलाएं निकलकर सामने आई और उन्होंने बताया कि ईसाई मिशन में जाकर उनकी बीमारी का इलाज हुआ है, मन की शान्ति मिलती है, उनके बच्चों की शादी कैसे हो यह चिंता थी जिसके चलते उन्होंने वहां जाना शुरु किया पर उनके नाम अभी भी पहले जैसे ही हैं।
सिकलीगर समाज के मुखिया पप्पू सिंह से जब हमारे संवावदाता ने बात की तो उनका कहना था कि यहां से जो दिल्ली कमेटी सदस्य हैं बलदेव सिंह रानी बाग उन्हें यहां की जनता ने वोट देकर जितवाया था पर उन्होंने कभी जनता की सुध नही ंली, किसी परिवार को नौकरी नहीं दी गई और भी कई समस्याएं हैं जिन्हें नहीं सुना जाता। पर जब उनके संज्ञान में धर्म परिवर्तन का मामला आया तो उन्होंने रानी बाग के समर्थकों तक इसे पहुंचाया पर किसी ने कुछ नहीं किया।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके एवं महासचिव मनजिन्दर सिंह सिरसा से जब इस विषय पर बात हुई तो उनका कहना था कि एक कमेटी बनाई गई है जो सारी पड़ताल कर अपनी रिर्पोट देगी और कमेटी में समरदीप सिंह सन्नी को भी रखा गया है जिन्होंने बलदेव सिंह के खिलाफ यहां से चुनाव लड़ा था और इससे पहले वह यहां से कमेटी सदस्य भी थे। सन्नी से जब बात हुई तो उनका कहना था कि जब वह कमेटी के नुमाइंदे थे तो उन्होंने कुछ परिवारों को नौकरी भी दी और कुछ परिवारों के बच्चों को फ्री शिक्षा भी दी गई परन्तु अब जो सदस्य हैं वह सरना दल से हैं और कमेटी से पूरा फंड भी मिल रहा है पर वह कहां खर्च हो रहा है इसके बारे में कुछ कह नहीं सकते।
कुल मिलाकर इसमें गल्ती किसी की भी हो सभी सिख संगठनों को इसके लिए मिलकर पहल करनी होगी तभी इस तरह की धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है।