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Kanjhwala
Report : Anil Kumar
दिल्ली के कंझावला गांव में फिरनी रोड का नामकरण महाबली “चौधरी जीता पहलवान मार्ग” के नाम से किया गया। जीता पहलवान अपने जमाने के पूरे भारत के जाने-माने पहलवान होते थे और ये कंझावला गांव के ही निवासी थे।
जीता पहलवान के शरीर की ऊंचाई 7 फुट 1 इंच थी और बाल ब्रहमचारी थे। जीता पहलवान उस युग में बड़े-बड़े पहलवानों को पटखनी देते थे। जीता पहलवान का जन्म 1887 में हुआ और इनकी मृत्यु 30 जून 1966 को हुई।
ब्रिटिश शासक भी जीता पहलवान की कुश्ती देखने के लिए पहुंचते थे। जीता पहलवान के नाम से गांव के फिरनी रोड़ का नामकरण किया तो इस मौके पर उत्तरी पश्चिमी दिल्ली के सांसद उदित राज, निगम में नेता सदन तिलकराज कटारिया, पूर्व महापौर मास्टर आज़ाद सिंह और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मौजूदा महापौर आदेश गुप्ता मौजूद रहे ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूनम जोगेंद्र डबास ने की जो स्थानीय निगम पार्षद है, जिनके माध्यम से यह “चौधरी जीता राम पहलवान मार्ग” का नामकरण हुआ। इस मौके पर जीता राम पहलवान के परिवार के लोगों को बुलाकर मंच पर सम्मानित किया गया। गांव के बुजुर्गों ने बारी-बारी जीता पहलवान को याद किया और नए युवाओं को उनसे प्रेरणा लेने की बात कही।
इस नामकरण को करके पूनम जोगेंद्र डबास ने कहा कि यह उसका कर्तव्य था उसने उसको निभाया है। जीता पहलवान बाल ब्रह्मचारी थे जिन्होंने शादी नहीं करवाई। जीता पहलवान के भाईयो की जो वंशज है, जो परिवार की वंशावली चलती आ रही है उस परिवार का कहना है कि उस युग में खेलों के लिए इस तरह के सम्मान नहीं दिए जाते थे जिस तरह के अब दिए जा रहे हैं। अब जाकर जीता पहलवान के देहावसान के बाद ही सही उन्हें सम्मान तो मिला, इस बात से जीता पहलवान के वंशज संतुष्ट है। लेकिन इतनी देर से इस तरह का पुरस्कार मिलने पर वह थोड़े खिन्न भी जरूर है क्योंकि इस तरह के सम्मान उन्हें बहुत पहले ही मिल जाने चाहिए थे।
इस मौके पर स्थानीय निगम पार्षद और गांव के लोगों ने सांसद और महापौर से गांव के लिए एक स्टेडियम की भी मांग की ताकि इस गांव से और भी पहलवान आगे निकले जो देश का नाम रोशन करें। फिलहाल जरूरत है इस तरह से महापुरुषों और खिलाड़ियों के नाम पर रास्तों के नामकरण हो जिससे नई पीढ़ी को प्रेरणा भी मिले।
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