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New Delhi
बवाना पटाखा फैक्ट्री हादसे में मृतको के परिवार का बड़ा आरोप। अवैध पटाखे का कारोबार 15 दिन नही बल्कि दो साल से बवाना इलाके में चल रहा था । आरोप है कि जिस फैक्ट्री को प्रशासन 15 दिन पहले की अवैध पटाखा फैक्ट्री बता रहा है । वास्तव में ये फैक्ट्री 15 दिन पुरानी नहीं है । बल्कि बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में 2 साल से अवैध पटाखे का बड़ा काम कर रही थी । और 15 दिन पहले F – 83 की इस बिल्डिंग में शिफ्ट हो कर आई थी । पन्द्रह दिन से पहले यह ओ ( O ) ब्लॉक में और उससे पहले एल ब्लॉक में ये फैक्ट्री चलती थी । इस बात का प्रमाण परिवार ने उन फैक्ट्रियों के आगे जाकर दिखाया है की जहां यह एक साल पहले भी थी वहां पर फैक्ट्री के बाहर जो मलवा डाला गया था । इस फैक्टरी का उसमें पुराने पटाखे और पत्थर के टुकड़े और पटाखों में यूज होने वाला सामान काफी बड़ी तादाद में मिला ।
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दिल्ली के बवाना में पटाखा फैक्ट्री में हुए हादसे के बाद सभी दहशत में है और बात सामने आई थी कि यह फैक्ट्री 15 दिन पहले ही शुरू हुई थी। लेकिन इसमें खास बात यह है कि ये फैक्ट्री इस बिल्डिंग में 15 दिन पहले शुरु हुई थी और मृतकों के परिजनों का आरोप है कि यह फैक्ट्री इस बिल्डिंग में जरुर 15 दिन पहले शुरु हुई थी लेकिन दो साल से यह फैक्ट्री अलग-अलग बिल्डिंगों में इसी तरह से बारूद से पटाखे बना रही थी और इन दो साल में भी किसी ने चेक नहीं किया ना इनका लाइसेंस देखा। इस तरह का कारोबार यह 15 दिन नहीं बल्कि आरोप है कि 2 साल से जारी था। जब हमने भी इस मामले की पड़ताल करनी चाही तो एफ ब्लॉक पटाखा फैक्ट्री के हादसे से पहले यह फैक्ट्री बताई गई कि वह ब्लॉक O-6 में थी जब वहां O6 पर जाकर चेक किया तो वहां फैक्टरी के आगे अंदर के पुराने मलबे को एक तरफ डाला गया था वह काफी बड़ी मात्रा में है। इस मलबे को जब हाथ लगा कर देखा तो इसमें पत्थर के टुकड़े बारूद का हिस्सा और छोटे पटाखे जो बच्चे बजाते हैं वह बड़ी संख्या में पड़े हुए हैं। अब साफ है परिजन जो आरोप लगा रहे हैं कि उससे पहले यह फैक्ट्री वहां O6 में चलती थी और उसके आगे इस तरह से पटाखों का ढेर मिलना इस बात को पूरी तरह से साबित करता है कि यह फैक्ट्री भी यहां पर चलती थी यहां से खाली होकर यह फैक्ट्री एफ ब्लॉक में गई थी।
इससे पहले ये फैक्ट्री एल-150 में चलती थी जब इस बात की जांच के लिए हम फैक्ट्री एल- 150 के आगे गए तो वहां पर भी पुराना जमा हुआ मलबा हटाया गया तो उसमें भी यह पत्थर और छोटे पटाखों के हिस्से मिले। ये छोटे छोटे पत्थर के टुकड़े छहरे के आकार के थे जो छोटे पटाखों में यूज किए जाते हैं। इससे साफ है कि एक साल पहले जो यहां पर फैक्ट्री थी उसमें बारूद से पटाखे बनाए जाते थे। इस बात की पुष्टि के लिए जब आसपास के लोगों से बातचीत की तो इस फैक्ट्री के सामने चाय बनाने वाले परिवार ने बताया कि एक साल पहले यहां पटाखे की फैक्ट्री थी और वह चाय देने जाते थे तो वह सब देखते थे। यहां भी फैक्ट्री को बाहर से लॉक लगाकर रखा जाता था किसी दूसरे की इंट्री नहीं थी। जब चाय देने जाते थे तो वो देखते थे कि अंदर छोटे पटाखे बनते हैं। उन्होंने बताया कि मालिक का नाम मनोज जैन था और यह भी साफ है कि जहां एफ ब्लॉक की फैक्ट्री में 17 जानें गई है वहां भी मालिक मनोज जैन ही है तो इस बात की पुष्टि हो जाती है कि मनोज जैन की फैक्ट्रियां थी। अलग-अलग तीन जगह पर दो साल में शिफ्ट हुई थी।
जब आसपास के दूसरे लोगों से भी जानना चाहा तो पास की फैक्ट्री में एक वर्कर ऐसा मिला जिसने एक साल पहले इस पटाखा फैक्ट्री में कुछ महीने तक काम किया था तो इस मजदूर ने बताया कि वह भी वहां काम करता था और इस फैक्ट्री में पटाखे बनते थे और मालिक भी मनोज जैन ही थे । जो हादसा हुआ वह फैक्ट्री यहां से वह O ब्लॉक में जाने के बाद गई थी।
आज रोहिणी के बाबा साहब अंबेडकर अस्पताल पर जब दो डेड बॉडीज की शिनाख्त हुई और परिजनों से बात हुई जिसमें अवनीश और रविकांत है।परिजनों ने बताया कि उनका बेटा दो साल से इस फैक्टरी में काम कर रहा था और उन्हें इस बात की जानकारी थी कि यह पटाखा बनाने की फैक्ट्री है। परिजनों का कहना है कि उन्होंने मना भी किया था कि वह ऐसी फैक्ट्री में काम ना करे लेकिन मालिक सबसे ज्यादा तवज्जो अवनिश को देता था और अवनीश फैक्ट्री में ही रहता था इसलिए हमने इस फैक्ट्री को छोड़ने को भी बोला था और 2 साल से अपने मालिक के साथ लगातार काम कर रहा था।
इस बारे में जब पुलिस से बात की गई तो रोहिणी जिला DCP ने ऑन कैमरा तो हो इस मामले पर बोलने से मना कर दिया क्योंकि मामला फिलहाल क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया है लेकिन फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें इस बात का कुछ क्लू जरूर मिला है कि पहले इस मालिक की फैक्ट्री दूसरी बिल्डिंगों में भी चलती थी लेकिन वहां पटाखे बनते थे या कोई और अन्य वस्तु यह सब जांच का विषय है अभी हम इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं क्योंकि जांच अभी पूरी नहीं हुई है। पूरी जांच से पहले पुलिस ने इसे दूसरी फैक्ट्री में पटाखा बनाने की बात अभी तक साफ नही की है ।लेकिन यहां इन तथ्यों से साफ हो जाता है कि पुरानी फैक्ट्रियों के आगे लगे मलबे के ढेर से इस तरह से पटाखे मिलना बारूद का सम्मान मिलना और पटाखों का जो सामान मिला वो पूरी तरह से साबित करता है कि दूसरी जगहों पर भी पटाखे बनते थे और पहले के कर्मचारी भी चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि यहां पहले भी पटाखे बनते थे। जरूरत है पुलिस भी इस मामले में जांच को इस तरफ भी आगे बढ़ाएं। फिलहाल पुलिस अब इस एंगल से भी जांच की बात कह रही है।