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Anil Kumar Attri
हार श्रृंगार को पारिजात, रात्रि-फूल वाली चमेली (Night Jasmine), शिउली या शेफाली (Shiuli) जैसे कई नामों से भी जाना जाता है।
हरसिंगार एक पवित्र पौधा है जिसके बहुत सारे फायदे हैं।
लोग हरसिंगार पौधे की पूजा करते हैं और इसके फूलों को देवताओं को भी चढ़ाते हैं।
इसके विभिन्न औषधीय और स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इस पौधे की पत्तियों में बुखार, साइटिका और घुटनों के दर्द को ठीक करने की क्षमता होती है। इन पत्तियों से कई औषधियाँ बनाई जाती हैं।
विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक खाद्य रंग के रूप में इसके फूलों का उपयोग किया जा सकता है। व्यंजनों में केसर की जगह सूखे फूलों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसके बीज AA Enterprises meesho पर उपलब्ध इस लिंक में
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1. उगाने का मौसम – हरसिंगार एक सामान्य ग्रीष्मकालीन पौधा है और फरवरी से सितंबर तक 8 महीनों तक अच्छी तरह से पनपता है। इस अवधि में नई शाखाएँ और पत्तियाँ तीव्र गति से निकलती हैं।
2. खिलने का मौसम – हरसिंगार (पारिजात) में फूल अक्टूबर से लेकर दिसंबर, जनवरी और फ़रवरी तक खिलते हैं।
3. सुप्त अवस्था – ठंड के मौसम में यह पौधा थोड़ी सुप्त अवस्था (dormancy period) में चला जाता है। विशेषकर उत्तर भारत में दिसंबर के अंत से जनवरी तक यह तनाव (stress) में रहता है। इसके विकास, फूल आने और सुप्तता चक्र के अनुरूप फरवरी में इसकी छंटाई (pruning) करें।
. एक बार जब पौधा शिफ्ट होकर व्यवस्थित हो जाए तो उसे ऐसे स्थान पर रखें जहां सबसे ज्यादा धूप आती हो।
इस पौधे को कम से कम 4 घंटे की धूप अनिवार्य है।
हरसिंगार के पौधे की पत्तियों का उपयोग एक अलग तरह के बुखार, खांसी, गठिया, कृमि संक्रमण आदि के इलाज के लिए किया जाता है। पत्तियों का रस कड़वा होता है और टॉनिक के रूप में काम करता है। इसका काढ़ा गठिया, कब्ज, कृमि संक्रमण के लिए उत्तम होता है।
Harshringar or Parijat Plant Seeds | Shefali seeds |
Harshringar, also known by many names such as Night Jasmine, Raat Ki Rani, Shiuli, etc., is a sacred plant with many benefits. People worship the Harshringar plant and offer its flowers to deities. It also has various medicinal and health benefits. The leaves of this plant have the ability to treat fever, sciatica, and knee pain. Many medicines are made from these leaves. The flowers of this plant can be used in various food items as a natural food color. In recipes, dried flowers can be used instead of saffron.
1. Growing Season – Harshringar is a common summer plant and thrives well from February to September for 8 months. During this period, new branches and leaves emerge rapidly.
2. Flowering Season – Harshringar flowers bloom from October to December, January, and February.
3. Dormant Stage – During the cold season, this plant goes into a dormant stage. Especially in North India, from the end of December to January, it undergoes stress. Prune it in February according to its development, flowering, and dormancy cycle.
Once the plant has shifted and settled, place it where it receives the most sunlight. This plant requires a minimum of 4 hours of sunlight. The leaves of the Harshringar plant are used for the treatment of various illnesses such as different types of fever, cough, arthritis, worm infections, etc. The juice of the leaves is bitter and acts as a tonic. Its decoction is excellent for arthritis, constipation, and worm infections.