आपके पीने के पानी मे जहर है …. हो जाइए सावधान
पीने के पानी के पाइपो को बनाते वक्त PVC में लैड की मात्रा मिलाने से NGT भी हुआ सख्त. बिना लैड मिलावट पाइप बनाने की याचिका के बाद मंत्रालय से माँगा जवाब. कई देशो में लैड मिलावट को बंद करके दुसरे इंतजाम हो चुके है शुरू.
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ये खबर आपकी सेहत से जुड़ी हुई आम तौर पर पीने के पानी की फीटिंग और दूसरी जरूरतों के लिए हम प्लास्टिक के पाइपों का इस्तेमाल करते है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने एक अहम फैसले में कहा हैं कि देश में प्लास्टिक का पाइप बनाने वाली कंपनियां पाइप के इस्तेमाल में लेड का प्रयोग तत्काल बंद करें। क्योकि लेड मानव जीवन के लिए बहुत ही हानिकारक है। फिलहाल एनजीटी ने इस बारे में पर्यावरण और वन मंत्रालय को फौरन कदम उठाने का आदेश दिया है।
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देश भर के घरों और दूसरी जगहों पर पीने का पानी सप्लाई के लिए प्लास्टिक के पाइपों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। प्लास्टिक के ये पाइप मानव जीवन में जहर खोल रहे है। दरअसल प्लास्टिक के पाइपों के निर्माण में लेड का प्रयोग किया जाता है ताकि पाइप के अंदर का हिस्सा सफेद चमकता रहे। यही लेड पीने के पानी के जरिए लोगों के शरीर में पहुंच रहा है। इस मुद्दे को लेकर एक स्वयं सेवी संगठन जन सहयोग मंच ने पिछले दिनों नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद एनजीटी ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को आदेश दिया कि प्लास्टिक के पाइपों में लेड का इस्तेमाल फौरन बंद होना चाहिए
देश में बड़े पैमाने पर घरों, दफ्तरों और दूसरी इमारतों में पानी की आपूर्ति के लिए प्लास्टिक के पाइपों का प्रयोग आम बात है। दरअसल प्लास्टिक का पाइप बनाने वाली कंपनियों को लेड बहुत सस्ता पड़ता है लिहाजा वे इसके दूसरे विकल्प को इस्तेमाल ही नहीं करती। एनजीटी ने इस मुद्दे पर बेहद गंभीरता जताते हुए सरकार से कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो इसके लिए नए मानक तय करें और लेड के इस्तेमाल को बंद करने के लिए सरकार कारगर कदम उठाए।
प्लास्टिक के पाइपों में लेड का इस्तेमाल सबसे ज्यादा बच्चो और गर्भवती महिलाओं पर असर डालता है। बच्चों की यादाश्त कम हो रही है और उनकी हड़डियां कमजोर हो रही है। साथ ही बुर्जगों की कीडनी पर लेड युक्त पानी सबसे ज्यादा असर डालता है। दुनिया के कई देशों में प्लास्टिक के पाइपों में स्टेबलाइजर के तौर पर लेड के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक है मगर भारत में प्लास्टिक कंपनियां सस्ते विकल्प के चलते जन स्वास्थ्य से खिलवा़ड़ कर रही है। अगली बार जब आप अपने घर और दूसरी जगह पानी की फीटिंग कराएं तो इस बात का ध्यान रखे की प्लास्टिक के पाइपों का इस्तेमाल ना हो। एनजीटी के आदेश के बाद सरकार ने अभी तक इस बारे में दिशा निर्देश तय नहीं किए है। पर्यावरण विद और चिकित्सक इस मुद्दे पर लगातार चिंता जता रहे है।
ऐसे में जरूरी है कि अब NGT के आदेश के बाद सरकार इसका सख्ती से पालन कराये, ताकि लेड से होने वाली हानिकारक बीमारियों को रोक जा सके जो कि इंसान के शरीर एक धीमे जहर का काम करती है। और हम भी थोड़े से पैसे बचाने के चक्कर मे अपनी ओर अपनो के सेहत से खिलवाड़ न करें।