AA News
प्रभाकर राणा
एक तरफ जहाँ देश की सरकार जनता को रोज़गार दिलाने और मेक इन इंडिया जैसे कार्यकर्मो को लेकर बड़े बड़े दावे तो करती है. लेकिन इसकी ज़मीनी हकीकत कुछ और ही. इसी कड़ी में देश की राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर देश भर के हज़ारों रेलवे के लाइसेंसी कैटरिंग वर्कर्स ने अपनी रोजी रोटी को बचाने के लिए सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। और रेलवे द्वारा बनाई गई नई वेंडर पॉलिसी में बदवाल की मांग करते हुए,10 सूत्री मांगों का एक ज्ञापन रेल मंत्री को सौंपा। साथ ही मांगे नहीं मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल करने और परिवार सहित भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी
दिल्ली के जंतर मंतर पर रेलवे की नीतियों को लेकर मुर्दाबाद के नारे लगाते ये हैं देश भर के रेलवे स्टेशनों पर खाने पीने का सामने बेचकर अपनी रोजी रोटी कमाने वाले रेलवे के ही लाइसेंसी वेंडर्स हैं जोकि आज यहां भारतीय रेलवे की नई कैटरिंग पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं। अखिल भारतीय रेलवे खान पान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से किये गए इस विशाल धरने प्रदर्शन में देश भर के अलग अलग राज्यो से आये हज़ारो वेंडर्स ने हिस्सा लिया। इस मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवींद्र गुप्ता ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री जब सत्ता में आये थे तो जोर शोर से प्रचार किया गया था कि एक चाय वाला देश का प्रधानमंत्री बना है, लेकिन उनके आने के बाद हम चाय वालों (बेंडरों) की रोजी-रोटी छिनी जा रही है। रेलवे स्टेशनों पर खाने पीने का सामान बेचने वाले जिनमें खोमचा/बाल्टा/ट्राली वाले शामिल हैं की रेलवे बोर्ड ने रोजी रोटी छिननी शुरू कर दी। इस मुद्दे को कई सांसदों ने समय-समय पर संसद में शून्य काल के समय उठाते रहे हैं पर सरकार के कान पर जू तक नहीं रेंग रही है। और अब ही रेलवे छोटे छोटे इन केटरिंग वेंडर्स की रोजी रोटी छीनकर उन्हें बेरोजगार कर उन्हें और उनके परिवारो को भूखा मारने पर आमादा है। साथी आरोप लगाते हुए कहा कि रेल मंत्रालय केटरिंग की बड़ी बड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश में लगी हुई है। उन्होने कहा कि रेलवे बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के 29 जनवरी 2016 के निर्णय का भी सम्मान नहीं किया। और 15 मार्च के सकरुलर नंबर 22 के तहत गरीब लोगों की रोजी रोटी छीनने का काम किया है। उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट के सम्मान में सर्कुलर को रद्द करना चाहिए।
गौरतलब है कि रेलवे स्टेशन पर बने इन स्टॉल्स पर वेंडर्स और उनपर काम करने वाले हज़ारो नही बल्कि लाखो लोग ओर उनके परिवार निर्भर हैं । साथ ही आरोप है की रेलवे बोर्ड की हठधर्मिंता तो यहां तक बढ़ गई है कि सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के बाद भी आगरा मंडल में लाईसेंसियों के लाईसेंस रद्द कर दिये गये। इतना ही नहीं उनकी दुकानों को तोड़ दिया गया। वाराणसी मंडल की बंद दुकानों को खोलने पर भी काम नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि हमारी मांगों को नहीं मांगा गया तो हम बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। एसोसिएशन से जुड़े एक अन्य वेंडर्स कहा कि यह सरकार गरीबों को नहीं अमीरों की है। चाय बेचकर सत्ता तक पहुंचने की बात करने वाले प्रधानमंत्री चाय बेचने वालों की रोजी रोटी छिन रहे है। एशोशिएशन के धरने के मौके पर उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, राजस्थान, महाराष्ट, दिल्ली आदि राज्यों से आये मजदूर नेताओं ने अपनी बात रखी। अपनी रोजी रोटी को बचाने के लिए एक जुट होकर सरकार की इन नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करनी होगी।
बरहाल रेलवे के इन सभी लाइसेंसी वेंडर्स ने शांति पूर्ण ढंग से अपना धरना प्रदर्शन किया, और अब आगे की लड़ाई के लिए और अपनी रोजी रोटी बचाने के लिए एक जुट होकर सरकारी की ऐसी गलत नीतियों के खिलाफ इनका ये संघर्ष जारी रहेगा साथ ही अब देखना होगा कि इनके इस धरने प्रर्दशन का सरकार पर क्या असर दिखाई देता हैं ।