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नरेला, नई दिल्ली
दिल्ली में पॉल्यूशन पहले ही काफी ज्यादा होता है और इन दिनों में खेतों में किसानों को गेहूं मशीन से कटवाने के बाद नीचे के बचे हुए डंठल जलाने पड़ते हैं। किसानों का भी कहना है कि यदि वे नहीं जलाएंगे नहीं तो यह अगली फसल नहीं होने देंगे। इसका कोई समाधान सरकार को निकाल कर किसानों को देना चाहिए । यदि सरकार इसका समाधान नहीं दे पाएगी तो किसान भी से है देर-सवेर ऐसे ही जलाएंगे और पोलूशन भी बढ़ेगा और किसानों की जमीन को भी नुकसान होगा।
ये है दिल्ली के नरेला इलाके के आसपास के खेत या साथ में हरियाणा से लगता बड़ा हिस्सा है और बड़ी तादाद में दिल्ली के हिस्से में भी गेहूं की खेती होती है। लोग पशु कम रखते हैं इसलिए उन्हें सूखे चारे की जरूरत कम होती है। गेहूं निकालकर सूखा चारा न बनाकर गेहूं के बचे हुए अवशेषों को आग लगा दी जाती है किसानों का कहना है कि यह उनकी भी मजबूरी है यदि वह इस को आग नहीं लगाते तो यह अगली फसल को नहीं होने देंगे। यदि वे किसी ट्रैक्टर से जोतते हैं तो भी ये पूरी तरह से खत्म नहीं होते किसानों को आखिरकार एक ही कदम उठाना पड़ता है वह है इन्हें आग के हवाले करना मजबूरन किसानों ने आग के हवाले करते हैं जिससे दिल्ली में पॉल्यूशन बढ़ता है साथ ही जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है लेकिन अगली फसल बिल्कुल ना हो उससे अच्छा है किसान उपजाऊ शक्ति कम का ही नुकसान उठा लेते हैं। और इन अवशेष को आग लगा देते हैं।
अब जरूरत है सरकार कोई समाधान निकालें कोई ऐसी तकनीक बताएं या इनका कोई ऐसा प्रयोग किया जाए जिससे किसान खुद से ना जलाएं बल्कि उसे एक बेच कर अपना खर्च निकाले लेकिन अभी तक ऐसा कोई अच्छा उपाय सरकार नहीं दे पाई है मजबूरन किसानों को यह दिलाना पड़ता है जरूरत है सरकारों के कृषि विभाग इस विषय पर भी तेजी से सर्च करें और इसका समाधान निकालें वरना जल्दी से यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है ।