दिल्ली में नगर निगम ने दिल्ली जल बोर्ड के खिलाफ लिखित में दी शिकायत
दिल्ली जल बोर्ड के ठेकेदार पर दर्ज हो सकता है मुकद्दमा
बुराड़ी विधानसभा के कुशक नंबर 2 गांव में रोड कटिंग को लेकर हुआ विवाद
दरअसल कुशक नंबर 2 में करीब एक साल पहले ही बनी नगर निगम की सड़क को काटा जा रहा था और सड़क को काटने वाले ठेकेदारों का तर्क था कि जल बोर्ड की पाइप लाइन को दबाना है। इसके बाद कुछ स्थानीय लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि यहां पर 4 लाइनें दबी हुई है वह बावजूद इसके इन चारों में जल बोर्ड पानी सप्लाई नहीं दे पा रहा है फिर से और भी लाइने दबाई जा रही है। साथ ही स्थानीय लोगों का कहना था कि जब सड़क बनती है तो उससे पहले दिल्ली जल बोर्ड कोई भी पाइप लाइन बिछाने के लिए नहीं आता। जैसे ही सड़क बनती है तो उसे तोड़ने के लिए जल बोर्ड आ जाता है। साथ ही स्थानीय लोगों ने कहा कि पाइप लाइन दबाने का उन्हें एतराज नहीं आप दबा सकते हैं लेकिन पहले नगर निगम को रोड कटिंग का पैसा जमा करवाएं ताकि बाद में इस सड़क को रिपेयर करवाया जा सके क्योंकि ठेकेदार सड़क को काटकर पाइप दबा कर चले जाते हैं और उनमें गड्ढे हो जाते हैं और अक्सर एक्सीडेंट होते रहते हैं, पूरा दिन धूल उड़ती है।
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दरअसल इसी क्षेत्र का इब्राहिमपुर से नंगली तक का रोड जल बोर्ड की लाइन दबाने के लिए कई साल पहले खोदा गया था और उसके बाद उसे रिपेयर नहीं किया गया। उस सड़क में काफी बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं। स्कूली बच्चे, राहगीर, गाड़ियां सभी उसमें गिरते रहते हैं और पूरा दिन धूल का गुबार छाया रहता है। दिल्ली के पॉल्यूशन को कम करने के लिए दूसरे राज्यों पर पॉल्यूशन का ठीकरा फोड़ने वाली दिल्ली सरकार को दिल्ली में ही इस तरह की धूल उड़ाती सड़के नहीं दिख रही है। पूरी पूरी सड़क में गड्ढे ही गड्ढे बने हुए हैं।
यही हालत कादीपुर वार्ड नंबर 6 की बाकी सड़कों की है। इसी तरह की शिकायत स्थानीय लोगों ने मुखमेलपुर गांव से भी दी कि उनके गांव में जल बोर्ड द्वारा सड़के तोड़ दी गई और उन्हें दोबारा से ठीक नहीं किया गया।
इस बाबत दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों व स्थानीय निगम पार्षद उर्मिला राणा ने लिखित में स्वरूप नगर थाने में शिकायत दी है। अब देखने वाली बात होगी कि पुलिस कब इस तरह से गैर कानूनी रूप से रोड काटने वालों के खिलाफ खिलाफ मुकदमा दर्ज करती है। यह सड़क नगर निगम की है और नगर निगम की सड़क को बिना नगर निगम की अनुमति लिए इस तरह से नहीं काटा जा सकता। इस मामले में भी अनुमति नहीं ली गई है यह बात अपनी शिकायत में खुद नगर निगम के अधिकारी व स्थानीय निगम पार्षद कह रही है।
जब ठेकेदार ने बिना अनुमति के इस सड़क को काटना शुरू किया तभी से विवाद शुरू हो गया। काफी बड़ा गड्ढा मशीनों द्वारा किया गया।
गांव की महिलाएं जब रोड कटिंग का विरोध कर रही थी तो एक महिला का आरोप है कि गांव के एक युवक ने खुद को विधायक का प्रतिनिधि बताते हुए सड़क को कटवाने का पूरा प्रयास किया। काफी बड़ा गड्ढा सड़क में किया गया जिससे पहले से चल रही दिल्ली जल बोर्ड की लाइन भी टूट गई, पानी भी निकलने लगा।
महिला ने बताया कि जब उसने इस बाबत विरोध किया तो गांव के ही उस युवक ने इस महिला के साथ धक्का-मुक्की की और भद्दी भद्दी गालियां दी। इसके बाद इस महिला ने भी उस युवक के खिलाफ स्वरूप नगर थाने में लिखित में शिकायत दे दी है। महिला का कहना है कि उसे धमकियां भी मिल रही है। यदि स्वरूप नगर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया तो वह महिला आयोग व न्यायालय में भी जाएगी।
फिलहाल दिल्ली जल बोर्ड के ऐसे कामों से कादीपुर वार्ड ही नहीं पूरी दिल्ली परेशान है क्योंकि जब सड़क बननी होती है उससे पहले दिल्ली जल बोर्ड का वहां लाइनें बिछाने का कोई प्लान नहीं होता जैसी सड़क का कार्य पूरा होता है तो मशीनें लेकर सड़क तोड़ने के लिए दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से ठेकेदार आ जाते हैं और उनका कहना होता है कि यहां पाइपलाइन दबानी है।
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जनता को शिकायत यह भी रहती है कि पाइप लाइन दबाने के बाद अच्छी तरह से मरम्मत नहीं की जाती। वहां फिर सड़क और मिट्टी बैठ जाती है गड्ढे बन जाते हैं और हादसे होते रहते हैं।
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जरूरत है सड़क बनाने से पहले सड़क निर्माण में कुछ इस तरह की व्यवस्था की जाए कि जल बोर्ड, टाटा पावर, दूसरी तारे बिछाने वाली कंपनियां सड़कों को ना काटें बल्कि उसी व्यवस्था के माध्यम से अपने तारे गुजार कर ले जाए और एक चार्ज संबंधित सड़क का विभाग तार बिछाने वाली या पाइप बिछाने वाली कंपनियों से ले ले। लेकिन इस तरह का कोई स्थाई समाधान ना करके सिर्फ सड़कें बनाने और तोड़ने का खेल चलता रहता है क्योंकि ऐसे खेल में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की भी जेब गर्म होती रहती है। यदि उनकी जेब गर्म नहीं होती तो वह इस तरह का मुद्दा क्यों नहीं उठाते। इस तरह के कार्य क्यों नहीं किए जा रहे। हो सकता है कुछ जनप्रतिनिधि इस तरह की बातों को लेकर संजीदा हो लेकिन सरकार इस तरह का प्रयास क्यों नहीं करती। पारदर्शिता का दावा करने वाली अरविंद केजरीवाल सरकार क्यों नहीं इस तरह की नीति लेकर आती इस पर सवाल खड़े होना लाजमी है।
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फिलहाल जल बोर्ड के ठेकेदार के खिलाफ शिकायत तो दे दी गई है मुकदमा दर्ज होने का इंतजार है यदि यह मुकदमा दर्ज नहीं हुआ तो मामला न्यायालय तक जाना स्वाभाविक है।
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