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Mukhraji Nagar
दिल्ली के किंग्सवे कैम्प स्तिथ महर्षि वाल्मीकि संक्रामक हॉस्पिटल में पिछले 14 दिनों में 12 बच्चों की हुई मौत । सभी 12 बच्चों की मौत डिप्थीरिया की वजह से हुई है । जिन्हें बचपन में डिप्थीरिया का वैक्सीन नहीं दिया गया । इन सभी बच्चों के परिवार दिल्ली से बाहर के रहने वाले हैं । जो अलग-अलग राज्यों से रेफर होकर दिल्ली के इस अस्पताल में इलाज करवाने आये थे ।
उतरी भारत के सबसे बड़े संक्रामक रोगों के अस्पताल में डिप्थीरिया वैक्सीन तक मौजूद नहीं है । जिनकी कीमत करीब 10000 रुपये है । ये दवा मरीजों को बाहर से लानी पड़ती है । फिलहाल सभी बच्चों की मौत की असली वजह जांच का विषय है ।
ये है उत्तरी दिल्ली नगर निगम का महर्षि बाल्मीकि संक्रामक अस्पताल । संक्रमण से जुड़ी हर बीमारियों का यहां इलाज किया जाता है अलग-अलग निजी अस्पतालों से भी संक्रमण के मरीज रेफर कर यहां पर आते हैं । बाहरी राज्यों से भी बड़ी संख्या में मरीजों को इस अस्पताल के लिए रेफर किया जाता है । लेकिन इन दिनों यहां बच्चों की मौत ज्यादा हो रही है ।
वह भी डिप्थीरिया जैसी बीमारी की वजह से । पिछले 6 सितंबर से 19 सितंबर तक कुल 12 बच्चों की मौत डिप्थीरिया की वजह से हो चुकी है और करीब इस वक्त 300 डिप्थीरिया से पीड़ित बच्चे यहां भर्ती है । जिनमें से 12 बच्चों की मौत हुई है उनमें दिल्ली का कोई भी बच्चा नहीं है सभी बच्चे दिल्ली से बाहर के हैं। अब यहां कुछ कुछ तीमारदारो का आरोप है कि सही इलाज न होने के कारण यहां मौतें हो रही है इसलिए वह अपने बच्चों को दूसरे अस्पतालों के लिए लेकर भी जा रहे हैं।
*बाईट — मोहम्मद आरिफ मृतक बच्ची के मामा 6 साल की शिफा*
*बाईट – जहीर बच्ची के पिता रोते हुए
*बाईट – सरफराज सहारनपुर निवासी अब बच्ची को कही और लेकर जा रहा हूँ।*
दर्शन अस्पताल पर आरोप लग रहे हैं कि यह डिप्थीरिया का वैक्सीन नहीं है जिसकी कीमत करीब ₹10000 हैं। वैक्सीन उन्हें बाहर से मरीजों को लाना पड़ रहा है इस पर जब अस्पताल प्रशासन से बात की गई तो अस्पताल प्रशासन ने बताया कि जिन बच्चों को बचपन में डिप्थीरिया वैक्सीन नहीं दिया गया उन बच्चों में यह बीमारी अक्सर होती है और इस सीजन में बीमारी हर साल बढ़ती है गले में खांसी रुकावट और जुकाम की शिकायत इसमें आम है और अधिकतर बच्चे उन राज्यों के होते हैं।
जहां सुदूर ग्रामीण इलाकों में बच्चों को वक्त पर बचपन में डिप्थीरिया वैक्सीन नहीं दिया जाता इसके लिए अस्पताल ने डब्ल्यूएचओ को भी लिखा है जिसके माध्यम से उन ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाए गए हैं लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को यह डिप्थीरिया वैक्सीन नहीं दिला रहे हैं।
यही वजह होती है कि बच्चे इस मौत का शिकार हो रहे हैं। बाद में जब बच्चे इस बीमारी से ग्रसित होते हैं तो उस वक्त दिया गया डिप्थीरिया वैक्सीन पूरा काम भी नहीं करता और जिसकी कीमत भी करीब ₹10000 है।
अस्पताल में वैक्सीन के उपलब्ध ना होने की बात पर अस्पताल का कहना था कि वह सभी वैक्सीन हिमाचल प्रदेश के कसौली से खरीदे जाते हैं जहां यूनिट है वहां घोड़ों के ब्लड से यह वैक्सीन लिया जाता है , लेकिन पिछले कुछ दिनों से कसौली हिमाचल प्रदेश में डिफ्थीरिया वैक्सीन का प्रोडक्शन बंद हो गया था बीच-बीच में और अब वह इसी महीने के आखिर में दोबारा प्रोडक्शन शुरू होने की संभावना है। इस कारण यह वैक्सीन इस वक्त उपलब्ध नहीं है।
खास बात यह है कि यह वैक्सीन निजी अस्पतालों में भी नहीं मिलता क्योंकि इसकी डिमांड बिल्कुल कम होती है और फिर यह खराब हो जाता है इसलिए निजी अस्पताल भी इस सरकारी अस्पताल में ही मरीजों को रेफर कर देते हैं। लेकिन यहां भी वैक्सीन ना मिलना सरकारी तंत्र पर सवाल खड़े करता है।
*बाईट – सुनील गुप्ता एम एस महर्षि बाल्मीकि संक्रामक रोग राम अस्पताल*
जरूरत है सरकार अब इस समस्या की तरफ ध्यान दें । पहले तो सरकार को जागरूकता का अभियान चलाना होगा जिससे सभी लोग अपने बच्चों को वैक्सीन जरुर पिलाएं। दूसरे जिस यूनिट में वैक्सीन प्रोडक्शन बंद है उस यूनिट पर ध्यान देना होगा कि वह प्रोडक्शन किसी भी तरह से बंद ना हो पाए , साथ ही दूसरे वैकल्पिक ऑप्शन भी तलाशने होंगे।
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https://youtu.be/4XsNkG6m8MY
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फिलहाल इस अस्पताल में 14 दिन में 12 मौतें कई सवाल खड़े करती है। अब देखने वाली बात होगी कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम इस वैक्सीन के लिए क्या इंतजाम करता है या अभी और इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि बीमारी का सीजन है इस बीमारी का फिलहाल सीजन जोरों पर है और इसके वैक्सीन अभी बाजार में भी उपलब्ध नहीं है।