देवभूमि उत्तराखंड एकता मंच नरेला द्वारा उतराखंड के लोकपर्व ‘हरेला’ के शुभ अवसर पर लगातार चौथे वर्ष नरेला क्षेत्र में स्वच्छता व वृक्षारोपण का आयोजन
18 जुलाई 2021 (रविवार) को देव भूमि उत्तराखण्ड एकता मंच नरेला द्वारा उत्तराखण्ड के प्रमुख लोकपर्व हरेला त्योहार के शुभअवसर पर वृक्षारोपण व स्वच्छता का आयोजन किया गया। इसमें नीम, जामुन, अमरूद तथा अन्य प्रकार के लगभग 100 से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया। वृक्षारोपण की शुरुआत सार्वजनिक पार्क, गली नंबर 9, गौतम कॉलोनी, सफियाबाद रोड, नरेला से हुई तत्व पश्चात पॉकेट 7, सेक्टर A 6 के सेंट्रल पार्क पर इसका समापन हुआ। गली नम्बर 9, गौतम कॉलोनी के पार्क में स्वच्छता अभियान में सारे कुड़े को भी एकत्रित कर पार्क की सफाई की गई।
*उत्तराखण्ड में हरेला त्यौहार का महत्व और इसे मनाने का उद्देश्य*
श्रावण मास की शुरुवात में ही हरेले पर्व मनाया जाता है। क्योंकि ये सावन की हरियाली से सराबोर होता है। दरअसल हरेला का पर्व नई ऋतु के शुरू होने का सूचक है। वहीं सावन मास के हरेले का महत्व उत्तराखण्ड में इसलिए बेहद महत्व है, क्योंकि देव भूमि को देवों के देव महादेव का वास भी कहा जाता है। और श्रावण मास में विशेषतया महादेव की ही पूजा की जाती है।
हरेला उतराखंड का प्रमुख त्यौहार होने के कारण वहां के घर-घर में बड़े उल्लास व उत्साह से मनाया जाता है। हरेला उतराखंडवासियों का प्रमुख पर्व है। इस पर्व पर 5 या 9 अनाज जिसमे गेहूं, जौ, मक्का, मसूर, कुल्था, आदि को 9 दिन तक एक टोकरी या वर्तन में बोया जाता है
और घर के कोने में पूरी तरह शुद्ध वातावरण में ढक के रखा जाता है और समय-समय पर पूजा पाठ के दौरान उसमें जल का छिड़काव किया जाता है। 8 दिन बाद उग आई उपज की घर के बड़ों द्वारा गुड़ाई की जाती है और इस अवसर पर घरों में कुछ मीठा पकवान जरूर बनाया जाता है।
9वें दिन सुबह पूजा-पाठ कर इसको मन्त्रउच्चरण के साथ काटा जाता है और बुजुर्गों द्वारा परिवार के सभी सदस्यों के सर पर इसे रखकर शुभआशिष के तौर पर सुख-समृद्धि, शारीरिक शक्ति और बुद्धि का आशीर्वाद दिया जाता है। इस दिन घरों में कई तरह के पकवान बनाये जाते हैं, जिसमे उड़द के बड़े, खीर, पूरी विशेष तौर पर बनाये जाते हैं। इस दिन नयी दुल्हनें जरूर अपने मायके जाती हैं और इस त्यौहार का अपने मायके में पूरा आनन्द लेती हैं।
यह पूरे उतराखंड में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। चूंकि उतराखंडवासी आदिकाल से प्रकृति के पुजारी रहे हैं और प्रकृति में ही अपने देवी-देवताओं के स्वरूप को देखते आये हैं अतः इसी भावना को जीवंत बनाये रखने के लिए हरेला पर्व मनाया जाता है। *इसके माध्यम से पर्यावरण का संदेश भी आम जनता तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है*
इस अवसर पर देव भूमि उत्तराखण्ड एकता मंच नरेला के सभी पदाधिकारियों, कार्यकारिणी के सदस्यो एवं वरिष्ठ गणमान्य सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही। देव भूमि उत्तराखण्ड मंच की ओर से *सर्व श्री जगदीश नैनवाल जी, नरेन्द्र सिंह भैसोड़ा जी, संजय प्रसाद बुडाकोटी जी, आनन्द पपनैं जी, मनोहर रावत जी ,भगवत भंडारी जी, चन्द्र सिंह कर्तवाल जी, विक्रम भंडारी जी, गोविंद अधिकारी जी,
गोपाल गिरी जी (अलीपुर), दिनेश राणा जी, विक्रम सामन्त जी, जगदम्बा सती जी, ओमप्रकाश देशवाल जी, दीवान सिंह बिष्ट जी, संतोष बेनाम जी,भगवान कार्की जी, सूरज भंडारी जी, आनंद सत्यवली जी, नवीन पंत जी, बलवंत दौसाद जी एंव संगठन के वरिष्ठ गणमान्य सदस्य श्री हंसा सिंह रावत जी, हर सिंह रावत जी, कमल मुडेपी जी, लाल सिंह जी, श्याम नारायण जी, नंदा बल्लभ मिश्रा जी, पूरन चंद खुलबे जी, राजेंद्र गुसाईं जी, धर्मानंद पंत जी, व अन्य बहुत से गणमान्य सदस्यो ने भाग लिया।
युवा जोश के साथ युवा पीढी ने भी अपनी प्रकृति एंव संस्कृति व परंपराओं को सहेजने हेतु बढ चढ कर इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें सुजीत सिंह भैसोडा, जय बुडाकोटी, गौरव पपनैं, विनोद सत्यवली, मोहित जोशी, रोहित नैलवाल, किशोर सत्यवली, सुरेश ढौढियाल,पंकज गोस्वामी, आदि युवा साथियों ने अपनी भागीदारी निभाई।*
कोरोनाकाल की इस संकट की परिस्थिति के कारण कार्यक्रम को सूक्ष्म रूप में ही किया गया और सभी उपस्थित सदस्यों ने सरकार द्वारा निर्धारित सभी दिशानिर्देशो का अनुपालन करते हुए अपने इस लोकपर्व को जीवंत व यादगार बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका का योगदान दिया। विशेष रुप से आये वरिष्ठ गणमान्य सदस्यों का जिनकी उपस्थिति से इस छोटे से आयोजन की शोभा बढी