AA News
दिल्ली के होलम्बी कला रेलवे ट्रैक पर करीब 25 गाय शताब्दी एक्सप्रेस की चपेट मे आई। सभी की मौत।
पटरी के ऊपर लाइन में चल रही थी गायें
दिल्ली से जा रही थी शताब्दी कालका एक्सप्रेस
शताब्दी कालका एक्सप्रेस करीब आध घण्टे रुकी रही ट्रेन के आगे हिस्से में गाय फंस गई थी।
अलग अलग जगह करीब एक किलोमीटर तक पड़ी है गाये
कई गाये थी गर्भवती
दिल्ली पानीपत रेलवे ट्रेक पर शताब्दी की चपेट में आने से करीब 25 गायों की दर्दनाक मौत, बड़ा रेल हादसा टला। घटना स्थल पर प्रशासन या कोई सामाजिक संस्था नही पहुँची
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लोकेशन :- बाहरी दिल्ली।
घटना के दो घण्टे बाद तक कोई संस्था नही आई थी बाद की अभी तक इसमे अपडेट नही ।
देश की राजधानी में बाहरी दिल्ली के होलम्बी में दिल्ली पानीपत रेलवे ट्रेके पर करीब 25 गायो की शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट मे आने से सभी गयो की दर्दनाक मौत। पटरी के ऊपर रेलवे लाइन में चल रही थी गायें। दिल्ली से पानीपत की तरफ जा रही थी ट्रेन, करीब आधे घंटे से ज्यादा देर तक रुकी रही ट्रेन। ट्रेन के अगले हिस्से में कटकर फंस गई थी कई गाय, रेलवे ट्रेक के करीब एक किलोमीटर के हिस्से में जगह जगह पड़े हैं गायों के शव, प्रशासन या किसी भी सामाजिक संस्था ने नही ली सुध।
अभी देश भर में गायों की दुर्दशा और उनकी मौत की खबर का सिलसिला ठीक से थम भी नही पाया था कि आज अचानक देश की राजनीतिक राजधानी दिल्ली में दिल्ली पानीपत रेलवे ट्रेक पर करीब 2 दर्जन से ज्यादा गाय हिंदुस्तान की सबसे तेज़ गति से चले वाली शताब्दी ट्रेन की चपेट में आ गईं। जिसमें ट्रेन में फंसकर इन सभी करीब 25 गायों की दर्दनाक मौत हो गयी। जिसके चलते करीब आधे घंटे से ज्यादा समय तक ट्रेन को वहीं रुकना पड़ा। चश्मदीद के अनुसार रेलवे ट्रैक ले आसपास करीब एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक गाय या उनके मांस के लोथड़े पड़े हुए हैं।
स्थानीय लोगो का आरोप है कि रेल प्रशासन या कोई भी सामाजिक संस्था घटना के काफी देर बाद तक मौके पर नही पहुँचे। और स्थानीय लोगो ने ही काफी मशक्कत के बाद मृत गायों के शवों को रेल ट्रैक और ट्रेन के नीचे से निकल कर हटाया जा सका। एक्सीडेंट के बाद की ये तस्वीरें इतनी दर्दनाक और भयानक हैं कि बिना ब्लर करे हम आपको दिखा भी नही सकते। चश्मदीद ने बताया कि रेलवे ट्रेक के आसपास ये गाय सैकड़ों के झुंड में घूम रहीं थी जिन्हें कई खानाबदोश चरवाहे लेकर जा रहे थे। बताया जा रहा है कि गायों का ये झुंड राजस्थान या गुजरात से आया था।
गो वंशो की हत्या या गो तस्करी को लेकर भले ही सरकार ने कड़े कानून बना दिये हैं। और देश भर में सैकड़ों सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएँ गायों के उत्थान के लिए करोड़ो रूपये खर्च करने का दावा करती हैं। लेकिन पिछले दिनों देश भर के अलग अलग हिस्सों से गायों की दुर्दशा की जो खबरें और तस्वीरें सामने आई थीं उन्होंने साफ कर दिया ज़मीनी हकीकत क्या है। जिसके बाद tv चैंनलों पर लगातार कई कई घंटों बहस और डिबेट आदि भी हुई थीं। लेकिन फिर स्थिति इतने ज़ोर शोर के बाद भी शायद जस की तस ही है।
बरहाल इस हादसे में दर्जनों गायों की दर्दनाक मौत हो गयी हो लेकिन ये भी सच है कि एक बड़ा रेल हादसा भी होते होते जरूर टल गया। लेकिन खबर कवर किये जाने तक प्रशासन या किसी भी अन्य सामाजिक संस्था का हादसे की जगह पर न आना या गायो के प्रति सेवा भाव न दिखाना एक बार फिर से बड़े सवाल जरूर खड़े करता है। क्योंकि सवाल इस लिए भी क्योंकि जिस देश मे गाय को माँ का दर्जा दिया जाता हो वहाँ गायों के साथ इतना भीषण हादसा होने के बाद भी कोई उनकी सुध लेने तक नही आया।