“सबका साथ क्षेत्र का विकास” संगठन ने स्वतंत्रता दिवस मनाया, सफाई कर्मचारियों से करवाया गया ध्वजारोहण
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Majnu-ka-Tila
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उसे मनाने का सिलसिला दिल्ली में कई जगह पर शुरू हो चुका है। लोगों को अपनी स्वतंत्रता की इतनी खुशी है कि उन्होंने स्वतंत्रता दिवस आज से ही मनाना शुरू कर दिया है।
आज रविवार के दिन तिमारपुर में लोगों के सहायता हेतु काम करने वाला एक संगठन सबका साथ क्षेत्र का विकास ने स्वतंत्रता दिवस मनाया।
इस संगठन के द्वारा कोरोना की गाइडलाइन को देखते हुए बड़ी संख्या में भीड़ को आमंत्रित नहीं किया गया था इसलिए सीमित लोगों द्वारा ही स्वतंत्रता दिवस मनाया गया और बड़ी संख्या में लोगों ने ऑनलाइन इस कार्यक्रम में भाग लिया।
सबका साथ क्षेत्र का विकास संगठन एक ऐसा संगठन है जो अधिकारियों और जनता के बीच की कड़ी के रूप में काम करता है।
आम लोग अपनी समस्याएं और उनके निदान के उपाय बताते हुए अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाते। जनता की बात अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए यह संगठन इस क्षेत्र में बढ़ चढ़कर काम कर रहा है।
आज के इस के कार्यक्रम में खास बात यह रही कि लोग अक्सर ध्वजारोहण के कार्यक्रम में ध्वजारोहण के लिए बड़े-बड़े नेताओं को आमंत्रित करते हैं लेकिन यहां पर क्षेत्र में सफाई का काम करने वाले सफाई कर्मचारियों द्वारा ध्वजारोहण करवाया गया ताकि उनका भी हौसला बढ़े और उन्हें सबसे अच्छा सम्मान मिले । संगठन के इस कदम की सभी ने सराहना की।
हर कोई इस कार्य की तारीफ कर रहा था। साथ ही समाज के लिए अच्छा काम करने वाले लोग व क्षेत्र में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों आदि का सम्मान किया गया
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मजनू का टीला के पास बसी कॉलोनी में घरों के अंदर बारिश का पानी घुसा, स्थानीय लोग परेशान
मजनू का टीला के पास बसी कॉलोनी के घरों की दलहीज देखकर आप चौक जायेंगे । वैसे तो घरों की दलहीज कुछ इंच की होती है लेकिन यहां पर स्थानीय लोगों ने अपने घरों की दहलीज को कई फुट ऊंचा बनाना पड़ा है ।
यदि ये दहलीज ऊंची नहीं होगी तो इनके घरों में पानी घुस जाता है । काफी घरों में पानी घुसा हुआ है। लोगों का खाना और सोना सब अव्यवस्थित हो गया है।
खाने पीने का सामान सब खराब भी हो जाता है उसे उसे ऊंचे पर रखना पड़ता है और हल्की बारिश शुरू होते ही यहां के लोगों को घरों से पानी बाहर निकालने का काम शुरू करना पड़ता है ।
इस सभी की वजह से ये लोग बेहद परेशान हैं । इस कॉलोनी में अधिकतर वे लोग होते हैं जो 1947 के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान को छोड़कर हिंदुस्तान में आए थे ।
फिलहाल यह लोग स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बेहद नाराज हैं।