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Nigam Bodh Ghat, Delhi
Report : Anil Kumar Attri
कोरोना वायरस से मौत के कारण निगमबोध श्मशान घाट में जो शव आते हैं उनका दाह संस्कार CNG द्वारा किया जाता है। सीएनजी दाह संस्कार की जो चिमनी बनाई गई है उनकी संख्या सीमित होने के कारण ज्यादा दाह संस्कार एक दिन में नहीं हो पा रहे हैं । पांच दिन पहले जो मौत हुई थी उनका दाह संस्कार आज तक नहीं हो पाया है।
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जरूरत है दिल्ली के लोग सावधान रहें लॉकडाउन से बचने के लिए नियमों का पालन करें वरना स्थिति से भी ज्यादा खराब हो सकती है।
दिल्ली में लगातार बढ़ता कोरोना संक्रमण और उससे होती मौतें दिल्ली के सबसे बड़े कोविड-19 अस्पताल लोकनायक के लिए परेशानी बन गई है। बता दें कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक दिल्ली में कोरोना से 303 मौतें हो चुकी हैं।
ऐसे में सीमित संसाधन और निगमबोध घाट की खराब भट्ठियों के कारण लोकनायक अस्पताल के शवगृह में शवों का ढेर लग गया है।
मंगलवार को आठ शव निगमबोध घाट ने ये कहकर वापस लौटा दिए गए थे कि सीएनजी शवदाह भट्ठी में और शवों को दाह करने की क्षमता नहीं है। छह में से सिर्फ दो ही भट्ठियां काम कर रही हैं।
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दिल्ली के श्मशान घाट में कोरोना से हुई मौतों का दाह संस्कार करने वाले पंडितों ने उठाई अपनी समस्या
दिल्ली के निगमबोध घाट में करोना के कारण मौत के बाद दाह संस्कार शवों का दाह संस्कार करने वाले पंडितों ने अपनी समस्याएं उठाई। पंडित का कहना है कि उन्हें कोई भी किट नहीं दी गई है। गलव्ज़ और फेस मास्क कुछ भी नहीं दिया गया है।
इसलिए उन्हें भी कोरोना संक्रमण का डर रहता है। हम कोरोना के शवों का दाह संस्कार करते हैं बावजूद उसके हमारी तरफ किसी भी विभाग का ध्यान नहीं है।
इस पंडित का कहना है कि दाह संस्कार तो वह करेंगे क्योंकि यह उनका करम है। लेकिन सरकार को उनकी तरफ भी देखना चाहिए।
साथ ही पंडित का कहना है कि डॉक्टर नर्स पुलिस कर्मी आदि कोरोना में ड्यूटी करते हुए हादसे का शिकार होते हैं तो उनके लिए राशि की घोषणा सरकार द्वारा की गई है लेकिन कोरोना के शवों का दाह संस्कार करते हुए हमें कोरोना होने के बाद कोई दुर्घटना होती है तो हमारे लिए कोई घोषणा सरकार द्वारा नहीं की गई है।
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अखाड़ों में कुश्ती का अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं पहलवान, शरीर को जरूरत है अभ्यास की : पहलवान
दिल्ली में पहलवानी करने वाले पहलवानों को लोकडाउन से बड़ी समस्या खड़ी हो गई है । लोक डाउन के दौरान सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए खिलाड़ी अखाड़ों में जाकर अपना कुश्ती का अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं दिल्ली में यमुना किनारे भी बड़ी संख्या में अखाड़े बने हुए हैं इन अखाड़ों में सैकड़ों पहलवान हर रोज कुश्ती का अभ्यास करते थे लेकिन लोग दान के दौरान ही अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं।
अखाड़े सुनसान है पहलवानों का कहना है कि उनके शरीर को कुश्ती के अनुरूप रखने के लिए उन्हें लगातार अभ्यास की जरूरत होती है यदि 3 महीने लगातार अभ्यास नहीं करेंगे तो उनका शरीर कुश्ती लड़ने के योग्य उस तरह नहीं रहेगा जिस तरह पहले था।
इसलिए इस लोक डाउन में दूसरे लोगों के साथ-साथ पहलवानों के सामने भी एक समस्या खड़ी हो गई है।
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