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Sanjay Gandhi Transport Nagar
रिपोर्ट : अनिल अत्री व नसीम अहमद
20 जुलाई से देशभर में करीब 95 लाख ट्रकों का होगा चक्का जाम। ये दावा है देश सभी सबसे बड़ी ट्रांसपोर्ट यूनियनों का। टोल बैरियर हटाने और डीजल के दामो में कमी समेत चार मुख्य मांगो पर देश के ट्रांसपोर्ट जा रहे हैं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर। पूरे साल का देश के सभी टोल बेरियर का टैक्स अकेले ट्रांसपोर्टर पहले ही देने को तैयार ताकि हर टोल बैरियर पर लाखों का डीजल लाइनों में न जले।
20 जुलाई से पूरे देश में ट्रकों का चक्का जाम होगा अपने कुछ मांगों को लेकर ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने 20 जुलाई से ट्रकों की अनिश्चितकालीन चक्का जाम की घोषणा की है। पूरे देश में करीब 2 महीने से इस हड़ताल का प्रचार-प्रसार जारी है। ट्रांसपोर्ट यूनियनों का दावा है कि करीब 95 लाख ट्रक उस दिन देश भर में बंद होंगे और अगले आदेश तक बंद रहेंगे और जब तक उनकी मांगों को नहीं माना जाता । डीजल के बढ़े दामों और टोल टैक्स के मुद्दे पर ट्रांसपोर्टस का कहना है कि वे काफी वक्त से पीस रहे हैं। इनका कहना है कि पेट्रोल डीजल की कीमतों में कटौती हो और मूल्य वृद्धि पूरे देश में एक समान हो और हर तीन महीने बाद ही मूल्य का संशोधन हो। दूसरी मांग देशभर में सड़कों को टोल बैरियर से मुक्त करने की है । इस मुद्दे पर ट्रांसपोर्ट आज का कहना है कि जो देश भर के सभी टोल नाके जितना टैक्स सरकार को देते हैं उससे ज्यादा टैक्स अकेले ट्रक चालक पूरी साल का एक साथ पहले ही जमा करा देंगे लेकिन हर रोज सड़कों पर उनकी गाड़ियों को खड़ा ना होना पड़े। टोल नाको पर इनका काफी मात्रा में डीजल भी जलता रहता है इस कारण दोहरी मार ट्रांसपोर्टर को पड़ती है। टोल बैरियर मुक्ति का फायदा देशभर के लाखों वाहन चालकों को भी होगा क्योंकि ट्रक मालिकों का दावा है कि वे जब पूरा टैक्स टोल बैरियर का दे देंगे तो टोल बैरियर नहीं होगा तो कार और दूसरे चालको को टोल टैक्स देना ही नहीं पड़ेगा।
साथ ही थर्ड पार्टी बीमा प्रीमियम में जीएसटी से छूट दी जाए। पर्यटन वाहनों को नेशनल परमिट दिया जाए। इन्हीं सभी मुद्दों पर ट्रांसपोर्ट की सैकड़ों यूनियनें 20 जुलाई से हड़ताल पर जा रही है।
ट्रांसपोर्ट से जुड़े सैकड़ों सैकड़ों यूनियन ने देश भर से इस हड़ताल का लगातार समर्थन कर रही है। दूध , सब्जी , दवाइयां इस तरह का जरूरी सामान सप्लाई करने वाली गाड़ियों को इस हड़ताल से बाहर रखा गया है लेकिन ट्रांसपोर्ट कंपनियों के बड़े ट्रक बंद होने से कहीं ना कहीं सप्लाई पर असर होना लाजमी है।
फिलहाल अभी तक कोई समाधान सरकार और ट्रांसपोर्ट के बीच में निकलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है और 93 लाख तक रुकने का एक बड़ा नुकसान ट्रांसपोर्टस के साथ साथ सरकार को भी होगा।
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अब देखने वाली बात होगी कि सरकार 20 जुलाई से पहले सरकार ट्रांसपोर्टर से कोई मीटिंग कर इसका हल निकाल लेती है या नही । ट्रांसपोर्ट का पहिया बंद हो जाने से देश की जनता को कोई दिक्कत का सामना ना करना पड़ जाए इसलिये सरकार को सतर्क रहने की जरूरत है।