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नई दिल्ली।
स्वामी श्रद्धानंद कोलिज अलीपुर से वीडियो
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https://youtu.be/84rcIwIP6lQ
दिल्ली यूनिवर्सिटी के सभी कॉलेजों में 70-30 के फार्मूले पर टीचरों का धरना जारी है। सभी कॉलेजों के टीचरस हड़ताल कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और क्लासे बन्द हैं । टीचर्स का आरोप है कि जो नया सरकारी फरमान आया है उसके अनुसार कॉलेजों को 70% अनुदान मिलेगा और 30% रेवेन्यू खुद कॉलेज को जुटाना होगा इससे साफ है कि 30% रेवेन्यू जनरेट का मतलब कॉलेज को सभी बच्चों की फीस करीब 6 से 8 गुना बढ़ानी पड़ेगी। जिस क्लास की फीस इस वक्त 10, 000 है उन्हें ₹ 50 हजार फीस देनी पड़ेगी जो स्टूडेंट के लिए बहुत गलत होगा। साथ ही कुछ प्रमोशन के और दूसरे मुद्दे लेकर टीचर्स ने विरोध प्रदर्शन जारी किया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में भी टीचर इसी मुद्दे पर धरने पर बैठे हैं और इस 79 – 30 के फार्मूले की वापसी की मांग कर रहे हैं। साथ में लंबे वक्त से प्रमोशन नहीं हुई और एडहॉक टीचर्स को 10 साल सेवा देने के बाद भी रेगुलर करना तो दूर उनके एक्सपीरियंस तक नहीं माना जा रहा है।
ये है दिल्ली यूनिवर्सिटी का स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज। यहां कॉलेज के सभी टीचर्स धरने पर बैठे हैं इनका आरोप है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के जो प्रशासन है वह काफी अनियमितताएं कर रहा है साथ ही यह एक नए फरमान का भी विरोध कर रहे हैं जिसमें 70% रेवेन्यू सरकार देगी तो 30% रेवेन्यू खुद कॉलेज को जनरेट करना होगा। कॉलेज 30% रेवेन्यू कहां से जनरेट करेगा कॉलेज की आय का क्या साधन है इसे साफ है कि कॉलेज को बच्चों की फीस बढ़ानी पड़ेगी जो एक डिग्री में हजारो से लाखों रूपये में पहुंच जाएगी । कॉलेज टीचर्स का कहना है कि फीस बढ़ाते हैं तो 6 से 8 गुना बच्चों की फीस बढ़ जाएगी जो गरीबों के लिए बहुत बड़ी नाइंसाफी होगी। इस बात के विरोध में स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज के टीचर धरने पर बैठे हैं और विरोध जता रहे हैं।
इस नए फरमान का विरोध शिक्षक भी कर रहे हैं साथ में छात्र भी इस फरमान से त्रस्त है कि 30% फंडिंग कॉलेज कैसे खुद जुटा पाएगा क्योंकि टीचर्स का कहना है कि सातवें वेतन आयोग के कारण बढ़े हुए वित्तीय भार को 30% वह खुद कॉलेज फंडिंग करें यह पैसा विद्यार्थियों की फीस से निकाला जाएगा इसका मतलब यह है कि 3 साल की स्नातक डिग्री के लिए अभी फीस के रूप में जो खर्च पचास हजार रुपये के लगभग है वह कई लाख में पहुंच जाएगा। यह नया फंडिंग फार्मूला लागू हुआ तो शिक्षा अधिकांश विद्यार्थियों खासकर महिला विद्यार्थियों की पहुंच से दूर हो जाएगी और गरीब इंसान के बच्चे कॉलेज की पढ़ाई नहीं कर पाएंगे।
साथ ही टीचर्स की दूसरा मुद्दा है ग्रांट की जगह लोन की व्यवस्था सरकार IIT और दूसरे तमाम विश्वविद्यालयों को किसी भी अतिरिक्त आधारभूत संरचना के लिए पहले की तरह ग्रांट देने की बजाय उन्हें हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी से लोन लेने के लिए कह रही है जहां यूजीसी के लिए बजट आवंटन कम हो गया है वही इस एजेंसी को बहुत बड़ा आवंटन मिला है।
विश्वविद्यालय के लिए इस नए बिजनेस मॉडल से एमओयू साइन करने के लिए बाध्य किया जा रहा है जिसके तहत उन्हें संसाधन पैदा करने और निर्धारित समय के भीतर लोन चुकता करने की क्षमता प्रदर्शित करनी है। इस तरह शिक्षा का व्यवसायीकरण होना जिसमें विद्यार्थियों पर खर्च का काफी बोझ बनाते है। इसी सबका विरोध टीचर्स कर रहे हैं साथ ही इनका कहना है कि DU में पहले से ही नौकरियां का संकट है 60% शिक्षक तदर्थ और अतिथि की हैसियत में है इसके इन पदों का ठेकाकरण किया जा चुका है। शिक्षकों की मांग है कि खाली जगह को भरने की बजाय सरकार पदों की कमी लाने और ठेके पर नियुक्तियां करने का प्रस्ताव ला रही है। जाहिर ऐसे में प्रतिभाएं शिक्षण के पैसे से विमुख होगी और शिक्षा की गुणवत्ता में काफी कमी आएगी। साथ ही पदोन्नति भी लगातार नही हो रही है इन सभी मुद्दों को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स जगह-जगह अपने अपने कॉलेज में प्रोटेस्ट कर रहे हैं और जब तक यह समाधान नहीं होता इनका प्रोटेस्ट और करना इसी तरह जारी रहेगा। फिलहाल इस धरने को 23 मार्च तक लगातार करने की घोषणा की गई है आगे का निर्णय टीचर्स की एसोशिएशन लेगी।